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________________ पुरोवचनं ऋषिदत्ता रासनं प्रकाशन भारत सरकारनी सहायताथी करवामां आव्युं छे. ते सहाय माटे अमे भारत सरकारना शिक्षाविभागना आभारी छीए. कवि जयवंतसूरिए अनेक ग्रंथोनी रचना सं. १६१४ थी १६५२ना गाळामां करी हशे एवं तेमना केटलाक ग्रंथोने अंते आपेल रचना संवत उपरथो जणाय छे. प्रस्तुत रचना ऋषिदत्ता रासनी जूनामां जूनी प्रति सं. १६५९मां लखायेली मळे छे. परंतु ते सुवाच्य न होवाथी प्रस्तुत संपादनमां सं. १६६५ मां लखायेल प्रतनो मुख्यपणे आधार लेवामां आव्यो छे. तेथी आपणे कही शकीए के लेखकना समयनी भाषाथी वहु दूर नहि एवी जूनी गुजराती भाषानुं रूप आपणने प्रस्तुत कृतिमां प्राप्त थाय छे. कृतिना संपादक डो. निपुणा दलाले घणी काळजी लह अनेक प्रतोनां पाठांतरोनी नोंध लीधी छे अने कवि जयवंत तथा तेमनी कृतिओनो विगते परिचय आप्यो छे. प्रस्तुत ऋषिदत्ता कथानु मूळ छेक १३मा सैकामां मळे छे अने ते आख्यानकमणिकोषनी वृत्तिमां छे. ते पछी प्रस्तुत कृति सिवाय २८ ऋषिदत्ता विषेनी कथाओ अने रास आदि रचाया तेनी नोंध संपादके लीधी छे. आ उपरथी सूचित थाय छे के आ कथा केटली लोकभोग्य बनी छे. आमां सतीचरित्रनु चित्रण छे अने अनेक कष्ट पडवा छतां ऋषिदत्ता पोतानुं शील अने प्रतिष्ठा केवी जाळवी राखे छे तेनुं निदर्शन छे. एक ज कथामां जुदा जुदा लेखकोने हाथे केवां केवां परिवर्तनो थतां रह्यां छे तेनी पण नोंध संपादके लीधी छे. छंद अने अलंकार उपरांत आ कृतिगत कहेवतोनो संग्रह पण परिशिष्टमां संपादके करी दीधो छे. नमूनारूपे जुदा जुदा लेखकोनां वर्णनो पण तारवी आप्यां छे अने शब्दसूची पण आपी छे. आशा छे के जूनी गुजरातो भाषना अभ्यासोने आ कृति बहु उपयोगी थई पडशे. आ कृतिनुं संपादन करी डॉ निपुणा दलाले एस. एन. डी. टी. युनिवर्सिटी (मुंबई) नी पीएच. डी. नी पदवी प्राप्त करी छे. आ कृतिना प्रकाशननी मंजूरी आपवा माटे उपर्युक्त युनिवर्सिटीना अमे आभारी छीए. ला. द. भा. सं. विद्यामंदिर अमदावाद ३८०००९ १५ ओगस्ट १९७५ Jain Education International For Private & Personal Use Only दलसुख मालवणिया अध्यक्ष www.jainelibrary.org
SR No.001581
Book TitleRushidattras
Original Sutra AuthorJayvantasuri
AuthorNipuna A Dalal, Dalsukh Malvania
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size11 MB
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