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________________ १८ तपागच्छना गुरुराय श्री विनय मंडनना शिष्य गुणसौभाग अथवा जयवंतसूरिओ, रसिक जनोना आग्रहथी, सतीनु आ चरित्र सं. १६४३मां मांगशर सुद चौदसने रविवारे पूर कर्यु. कवि अंतमां लखे छे : 46 न्यून अधिक जे हुई आगमथी, मिच्छा दुक्कड तास, कविता वक्ता श्रोता जननी, फलयो दिन दिन आस. ( ४१ ) ऋषिदत्ता रास " मांना कथाघटको अने तेमनो रसलक्षी विस्तार (१) अमुक राजकुंवरी साथे लग्न करवानुं नक्की थया पछी लग्न माटे जतां वाटमां प्रथम दृष्टि प्रेम थतां राजकुवरना अक तापस कन्या साथे लग्न. (२) दीक्षित साधु-साध्वीने पेटे जन्मेली तापसकन्या. (३) राजानुं अजाण्या घोडा पर बेसवुं ने अजाण्या आश्रममां जई चडवु मुनिसेवा ने जिनमंदिरनी स्थापना. मुनिओ आपेल विषहर मंत्र. ( ४ ) विषहर मंत्रने बळे कोई राजकुंवरीनुं झेर उतार्या बाद तेनी ज साथ लग्न सवाळे दीक्षित थया बाद आश्रममां पुत्रीजन्म अने ऋषिभाना आश्रम त्याग, ने मातानु मृत्यु. ( ५ ) कन्याना रक्षण माटे अदृष्टीकरणनु अंजन. (६) कन्याना लग्न बाद तेने प्रतिबोध अने भावी पुत्रीवियोगने कारणे पितानी आत्महत्मा. (७) धनार पति अन्य कोईने अने ते पण तापसकन्याने परणी बेठो ते जाणतां ते कन्या पर वेर लेवानी इच्छाथी राजकुवरीओ मेली विद्यानी साधक योगिनीने साधवी. (c) दुष्ट योगिनी द्वारा मचेलो उत्पात अने ते कारणे नायिकाने माथे मांसभक्षी राक्षसी होवानु आवेल आल. ( ९ ) न्यायप्रिय राजा द्वारा कलंकिनी साबित थड़े चूकेली पुत्रवधूने अपमानित करी स्मशाने हगवानो हुकम . (१०) स्मशाननां नायिका असहाय दशानां बेमान थई पडी जतां ते मृत्यु पानी छे अम मानी माराओ चाल्या जवु . (११) मूर्छामांश्री जागेली नायिकानी अकलवायी दशा अने तेने वेठवी पडती हाडमारी तथा तेनु कल्पांत. (१२) अगाउ रोपेलां वृक्षोने आधारे नायिकानु पिताना आश्रममां जवु तथा त्यां औषधीना बळे पुरुष बनी रहे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001581
Book TitleRushidattras
Original Sutra AuthorJayvantasuri
AuthorNipuna A Dalal, Dalsukh Malvania
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size11 MB
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