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316. स्थापितं लग्नम् 248.28. 317. स्थिता तावदधुना तीर्थयात्रा 243,31. 318. स्थित तावदेवतादर्शनम् 164.22. 319. स्थितिमकल्पयत् 57.4. 320. स्वयम जातानुभवस्य दुरभिलेखा वचनपद्धतिरसो 198.16. 321. स्वागतं ते । साधु कृत यदवागतोऽसि 59.11. 322. स्वीकृत स्वतन्त्रत्वम् 209.2ff. 323 हस्ते चक.र 112.8. 324. हा किमनुष्ठित निष्ठुरप्रकृतिना दैवेन 179.16 ff. 325. हा किमिदमापतितम् 179.16. 326. हारः प्रधानरत्नानां मध्यवर्ती कर्तव्यः 37.7. 327. ह्रीतापि न तपस्विलोकस्य 196.4.
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