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________________ बारह व्रतोंमें प्रथम अनशन तपका वर्णन सावधि और निरवधि अनशनका वर्णन अवमोदर्य तपका वर्णन और उसका महत्त्व व्रत परिसंख्यान तपका वर्णन रस परित्याग तपका वर्णन विविक्त शय्यासन तपका वर्णन विषय-सूची कायक्लेश तपका वर्णन अन्तरंग सपमें प्रथम प्रायश्चित्त तपका वर्णन विनय तपका वर्णन वैय्यावृत्त तपका वर्णन स्वाध्याय तपका सभेद वर्णन व्युत्सर्ग तपका वर्णन ध्यान तपका वर्णन आर्त्त और रौद्र दुर्ष्यानोंका वर्णन धर्मध्यानका स्वरूप और उसके आज्ञाविचय आदि चार मेदोंका वर्णन धर्मंध्यानके पिण्डस्थ और पदस्थध्यानका वर्णन रूपस्थ और रूपातीत ध्यानका वर्णन धर्मध्यानके गुणस्थानोंका वर्णन शुक्लध्यानके भेद और उनके गुणस्थानोंका वर्णन पृथक्त्व वितर्क सविचार शुक्लध्यानका स्वरूप एकत्व वितर्क अवीचार शुक्लध्यानका स्वरूप सूक्ष्मक्रिया अप्रतिपाति शुक्लध्यानका स्वरूप समुच्छिन्न क्रिया निर्वात शुक्लध्यानका स्वरूप समभावका वर्णन अनन्तानुबन्धी कषाय आदिके अभाव होनेपर सम्यक्त्व देशव्रत, सकलव्रत और यथाख्यात चारित्र उत्पन्न होनेका वर्णन गुणस्थानोंके अनुसार मोहकर्मकी प्रकृतियोंका अभाव समभावकी अवस्थाका विस्तृत वर्णन समभावकी महिमाका वर्णन सम्यक्त्वका वर्णन श्रावक प्रतिमाका स्वरूप सम्यक्त्वके प्रशम संवेग आदि आठ गुणोंका सप्रमाण वर्णन क्षायिक सम्यक्त्वके उत्पन्न होनेका समय और उसका स्वरूप उपशम सम्यक्त्वके उत्पन्न होनेका समय और उसका स्वरूप क्षयोपशम सम्यक्त्वका स्वरूप वेदक सम्यक्त्वके चार प्रकारोंका वर्णन Jain Education International For Private & Personal Use Only १९ ३४१ ३४२ ३४२ ३४३ ३४४ ३४५ ३४६ ३४७ ३४७ ३४८ ३४८ ३५० ३५१ ३५१ ३५२ ३५३ ३५४ ३५४ ३५५ ३५५ ३५६ ३५७ ३५७ ३५८ ३५९ ३६० ३६१ ३६२ ३६३ ३६३ ३६४. ३६४ ३६५ ३६५ ३६५ www.jainelibrary.org
SR No.001555
Book TitleSharavkachar Sangraha Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1998
Total Pages420
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Achar, & Religion
File Size23 MB
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