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________________ बा १५ , २१० गाथानुक्रमणिका अरहंत-भत्तियाइस् , ४० अहवा वत्थुसहावे भावसं० २४ अरहंतु वि दोसहि रहिउ सावय० ५ अह वेदगद्दिट्ठी वसुनं० ५.६ अरुहाईणं पडिम वसुनं० ४०८ अहिसेयफलेण परो अलिउ कसाहि मा सावय० ६१ अलिचु बिएहिं पुज्जइ भावसं० १२४ अलियं करेइ सवहं वसुनं० ६७ आउकुलजोणि मग्गण वसुनं. अलियं ण जपणीयं आउसंति सग्गहु चइवि सावय० अवरु वि जं जहिं सावय० ११९ आगमसत्थाई लिहाविळणं वसुनं० २२७ आगरसुद्धि च करेज्ज अवसाणे पंच घडाविळणं वसुनं० ३५५ , आगासमेव खित्तं अविरयसम्माइट्ठी ३१ भावसं० १४९ आदहिदं कादव्वं लाटीसं० (उक्त) २५ असणं पाणं खाइम वसुनं० ३२४ आधारधरा पढमा लाटी० (उक्त) ४,२९ असि आ उ सा सवण्णा वसुनं० ४६६ असियसय किरियाणं धर्मसं० (उक्त) १.३६ आमिससारसउ भाारायउ। धर्मोप०(उक्तं)४.१७ असुइमयं दुग्गंधं स्वामिका० ३६ आयाराई सत्थं भावसं० १७५ असुहकम्मस्स णासो भावस० १९ आयासफलिहसंणिह वसुनं० ४७२ असुरा वि कूर पावा वसुन० १७० आयंबिल निवियडी ६, ३७ असुह सुहस्स विवाओ भावसं० २० । २९२ आत्तिए दिण्णउ असुहस्स कारणेहिं य साबय० १९६ असुहादो णिरयाक रयण. ५२ आरोविळण सीसे वसुनं. ४१७ यहउड्ढतिरियलोए भावसं० २१ आरंमे घण-धण्णे रयण. ९४ लिहिउ सिद्धचक्कं भावसं० ९४ अह एउणवण्णा भावसं० ११७ अह कावि पावबहुला वसुनं० ११९ यावाहिकण देवे अह ढिंकुलिया झाणं भावसं० ३७ आसणठाणं किच्चा अह ण भणइ सो भिक्ख वसुनं० ३५३ आसाढ कत्तिए फाग्गुणे वसुनं० ३०७ ५०७ अह तेवंडं तत्तं खिवेउ , १३९ आसी ससमय परसमय प्र० ५४० अह भुंजइ परमहिलं आहरण गिम्मि अहवा आगम-णोआगमाइ वसुनं० ५०२ आहरण वासियाईहिं , अहवा किं कुणइ पुरा ४०४ अहवा खिप्पउ सेहा भावसं० ८६ आहारमओ देहो भावसं. १७० आहारसणे देहो अहवा जइ असमत्थो अहवा जिणागम-पुत्यएसु माहारोसहसत्थामय वसुनं० ३९२ वसुनं० २३३ अहवा णाहि च विअप्पिऊण अहवा णियं विढत्तं भावसं० २३२ इच्चाइ गुणा बहवो वसुनं० ५० अहवा णिलाड देस वसुनं. ४६९ इच्चाइ बहुविणोएहि , ५०९ अहवा णोआगमाइ भेएण इच्चेवमाइ काइयविणओ , ३३० यहवा तरुणो महिला भावसं० २३५ इच्चेवमाइबहवो , ४८ ७९ , ११८ , ४७७ " २०० ॥ १७२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001554
Book TitleSharavkachar Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1998
Total Pages598
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size13 MB
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