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श्रावकाचार - संग्रह के सम्पादनमें प्रयुक्त हस्तलिखित एवं मुद्रित प्रतियोंका परिचय
प्रस्तुत श्रावकाचार - संग्रहमें जिन श्रावकाचारोंका संग्रह किया गया है उनमें अधिकांश प्रकाशित हैं, तो भी ऐ० पन्नालाल दि० जैन सरस्वती भवन ब्यावरको हस्तलिखित प्रतियोका मूलके संशोधनमें उपयोग किया गया है। जिस-जिस श्रावकाचारका संशोधन भवनकी प्रतियोंसे किया गया है उनका परिचय इस प्रकार है
१. रत्नकरण्ड श्रावकाचार — यद्यपि यह अनेकों बार विभिन्न स्थानोंसे मुद्रित हो चुका है । फिर भी इसका मिलान भवन की सं० १८९५ को हस्तलिखित प्रतिसे किया गया है । इसका क्रमांक ७४७ है । यह सटीक प्रति है । इसके ६१ पत्र हैं। आकार १२x६ इंच है और प्रतिपृष्ठ पंक्ति संख्या ११ और अक्षर संख्या ३६-३७ है ।
इसका अनुवाद स्वतंत्र रूपसे किया गया है, फिर भी स्व० जुगलकिशोरजी मुख्तार लिखित अनुवाद सहायता ली गई है ।
२. स्वामीकार्तिकेयानुप्रेक्षा — श्रीमद राजचन्द्र ग्रन्थमालासे प्रकाशित डा० ए० एन० उपाध्येसे सम्पादित और पं० कैलाशचन्द्रजी शास्त्रीसे अनूदित मुद्रित प्रतिपरसे धर्मभावनाके अन्तर्गत श्रावकधर्मका वर्णन प्रस्तुत संग्रहमें संकलित किया गया है। फिर भी भवनकी सं० १८२२ की लिखित प्रतिसे उक्त गाथाओंका मिलान किया गया। इसका क्रमांक ४२८ है । पत्र सं० ५६ और आकार ११x६ इञ्च है । प्रति पृष्ठ पंक्ति सं० ६ और प्रति पंक्ति अक्षर सं० ३५-३६ है ।
३. महापुराण- गत श्रावकाचार - भारतीय ज्ञानपीठसे प्रकाशित एवं पं० पन्नालालजी साहित्याचार्यस सम्पादित अनुवादित संस्करणपरसे उक्त श्रावकाचारका संकलन किया गया है । फिर भी अनेक संदिग्ध स्थलोंका निर्णय पं० लालारामजी शास्त्री द्वारा सम्पादित प्रति परसे, तथा भवनकी हस्तलिखित प्रतिपरसे किया गया है । इसका क्रमांक २०३ है । पत्र सं० ३२५ है । आकार १२ x ६ || इंच है । प्रतिपृष्ठ पंक्ति सं० १५ और प्रति पंक्ति अक्षर सं० ३९-४० है । यह प्रति सं० १६६६ की लिखी और बहुत शुद्ध है ।
४. पुरुषार्थसिद्धयुपाय — यद्यपि यह अनेक स्थानोंसे प्रकाशित है तथापि राजचन्द्र ग्रंथमालासे प्रकाशित संस्करणके आधारपर मूलका संकलन किया गया है और अनुवाद उसीके आधारपर स्वतंत्र रूपसे किया है। ब्यावर भवनकी प्रायः सभी प्रतियाँ सौ वर्ष के भीतरकी लिखी हुई हैं, अतः उनसे कोई नवीन पाठ नहीं मिला है ।
५. यनास्तिलक - गत उपासकाध्ययन - भारतीय ज्ञानपीठ दिल्लीसे प्रकाशित, एवं पं० कैलाशचन्द्रजी शास्त्री से अनुवादित संस्करण परसे ही गद्यभागको छोड़कर श्लोकोंका प्रस्तुत संग्रहमें संकलन किया गया है । फिर भी अनेक संदिग्ध स्थलोंका निर्णय ब्यावर भवनकी हस्तलिखित प्रति
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