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________________ १४८ १४९-१५५ १५६ १५७ १५९ १६२ १९२ ८ ( ग ) २८. जिनेन्द्र-दर्शनका महत्व २९. निःसहीका रहस्य ३०. जिनेन्द्र-पूजन कब सुफल देता है ३१. गुरूपास्ति आदि शेष कर्तव्य ३२. पर्व-माहात्म्य ३३. चार प्रकारके श्रावक ३४. यज्ञोपवीत ३५. अचित्त या प्रासुक भक्ष्य वस्तु-विचार ३६. जल-गालन एवं प्रासुक जल-विचार ३७. अभक्ष्य विचार ३८. भक्ष्य पदार्थोंकी काल-मर्यादा . ३९. द्विदलान्नको अभक्ष्यताका स्पष्टीकरण ४०. सूतक-पातक-विचार ४१. स्त्रीके मासिक धर्मका विचार ४२. उपसंहार ४३. कुन्दकुन्द श्रावकाचारको विषय-सूची ६. कुन्दकुन्द भावकाचार ग्रन्थ-संकेत-सूची टिप्पणीमें उपयुक्त ग्रन्थ-नाम-संकेत सूचो परिशिष्ट-सूची १. तत्त्वार्थसूत्राणामनुक्रमणिका २. गाथानुक्रमणिका ३. संस्कृतश्लोकानुक्रमणिका ४. निषीधिका-दंडक ५. धर्मसंग्रह श्रावकाचार-प्रशस्ति ६. लाटी संहिता-प्रशस्ति ७. पुरुषार्थानुशासन-प्रशस्ति ८. श्रावकाचार सारोद्धार-प्रशस्ति ९. रत्नकरण्डकमें उल्लिखित प्रसिद्ध पुरुषोंके नाम १०. सप्त व्यसनोंमें प्रसिद्ध पुरुषोंके नाम ११. उग्र परीषह सह कर समाधिमरण करनेवालोंके नाम १२. रोहिणी आदि व्रतका उल्लेख १३. हिन्दी क्रियाकोषादि गत व्रत-विधान-सूची १४. कुन्दकुन्द श्रावकाचारके संशोधित पाठ १५. कुन्दकुन्द श्रावकाचारका शुद्धि-पत्रक १६. अन्तिम मंगल-कामना और क्षमा याचना १६५ १६६ १६७ १६८ १६९ १७३-१८४ १-१३४ १३५ १३६ २-२० २१-२२१ २२२ २२४ २३२ २३६ २४१ २४५ २४५ २४६ २४७ २५३ २५५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001554
Book TitleSharavkachar Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1998
Total Pages598
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size13 MB
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