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________________ ( ख > २८. प्राकृत भावसंग्रह- गत श्रावकाचार - श्री देवसेन २९. संस्कृत भावसंग्रह - गत श्रावकाचार - पं० वामदेव ३०. रयणसार भावसंग्रह - गत श्रावकाचार - श्री कुन्दकुन्दाचार्य ३१. पुरुषार्थानुशासन भावसंग्रह - गत श्रावकाचार - पं० गोविन्द ३२. कुन्दकुन्द श्रावकाचार - स्वामी कुन्दकुन्द ५. प्रस्तावना १. सम्यग्दर्शन २. उपासक या श्रावक ३. उपासकाध्ययन या श्रावकाचार ४. श्रावक - धर्म - प्रतिपादनके प्रकार ५. अष्ट मूलगुणोंके विविध प्रकार ६. शीलका स्वरूप एवं उत्तर व्रत संख्या पर विचार ७. वर्तमान समयके अनुकूल आठ मूलगुण ७. रात्रिभोजन ७ख. वस्त्रगालित जल ८. श्रावकाचारोंके वर्णन पर एक विहंगम दृष्टि ९. श्रावक - प्रतिमाओंका आधार १०. प्रतिमाओंका वर्गीकरण ११. क्षुल्लक और ऐलक, क्षुल्लक शब्दका अर्थ, निष्कर्ष १२. श्रावक - प्रतिमाओंके विषयमें कुछ विशेष ज्ञातव्य १३. श्वे० शास्त्रोंके अनुसार प्रतिमाओंका वर्णन और समीक्षा १४. सामायिक शिक्षाव्रत और सामायिक प्रतिमामें अन्तर १५. प्रोषधोपवास शिक्षा व्रत और प्रोषध प्रतिमामें अन्तर १६. प्रतिमाओंके वर्णनमें एक और विशेषता १७. संन्यास. समाधिमरण या सल्लेखना १८. अतीचारोंकी पंचरूपताका रहस्य १९. निदान एवं उसका फल २०अ. स्नपन, पञ्चामृताभिषेक या जलाभिषेक २०ब. आचमन, सकलीकरण और हवन २१. पूजन पद्धतिका क्रमिक विकास २२. पूजनकी विधि २३. आवाहन और विसर्जन २४. वैदिक पूजा पद्धति २५. शान्तिमंत्र, शान्तिधारा, पुण्याहवाचन और हवन २६. स्नपन, पूजन, स्तोत्र, जप, ध्यान और लय २७. श्रावकोंके कुछ अन्य कर्त्तव्य Jain Education International For Private & Personal Use Only ४५ ४७ ४८ ४९ ५० ५४ - १७१ ५४ ५८ ५९ ६० ६६ ६८ ६९ ७० ७१ ७२ ८१-८७ ८७ ८८- ३ ९४ ९६- १०० १०१ १०२ १०४ १०६ १०७-११३ ११४ ११६-१२४ १२५ १२७ १३० १३५ १३६ १३७ १३८-१४६ १४७ www.jainelibrary.org
SR No.001554
Book TitleSharavkachar Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1998
Total Pages598
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size13 MB
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