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श्रावकाचार-संग्रह
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सागार और अनगार. धर्मका निर्देश उपबृंहण अंगका वर्णन स्थितिकरण अंगका स्वरूप वात्सल्य अंगका वर्णन प्रभावना अंगका वर्णन श्रावकव्रतोंके धारण करने योग्य पुरुषका निरूपण यद्यपि सम्यक्त्वी पुरुषका व्रत-ग्रहण मोक्षके लिए होता है, तथापि सम्यक्त्वी,
मिथ्यात्वी, भव्य और अभव्यको भी व्रत धारण करनेका उपदेश पुण्य क्रियाओंके करनेका उपदेश अणुव्रत और महाव्रतका स्वरूप हिंसा पापका निरूपण एकेन्द्रियादि जीवोंका विस्तृत विवेचन प्रमत्तयोगी सदा हिंसक है, अप्रमत्तयोगी नहीं अणुव्रतधारीको त्रसहिंसावाली क्रियाओंका त्याग आवश्यक है व्रतके यम और नियम रूप भेदोंका वर्णन महारम्भ रूप कृषि, वाणिज्य आदि कार्योंके त्यागका उपदेश व्रतरक्षार्थ भावनाओंके करनेका उपदेश श्रावकको यथासम्भव ईर्या आदि समितियोंके पालन करनेका उपदेश भोजनके समय श्रावकको हिंसा पापकी निवृत्तिके लिए यथासम्भव __ अन्तरायोंके पालन करनेका तथा द्विदल अन्न आदि खानेका निषेध एषणाशुद्धिके लिए सूतक-पातक आदि पालनका निर्देश अहिंसाणुव्रतके अतिचारोंका निरूपण सत्याणुव्रतका निरूपण सत्यवतकी भावनाओंका निरूपण सत्याणुव्रतके अतिचारोंका निरूपण अचौर्याणुव्रतके स्वरूपका वर्णन अचौर्याणुव्रतकी भावनाओंका निरूपण अचौर्याणुव्रतके अतिचारोंका निरूपण ब्रह्मचर्याणुव्रतका निरूपण ब्रह्मचर्याणवतकी भावनाओंका वर्णन ब्रह्मचर्याणुव्रतके अतिचार परिग्रहपरिमाण अणुव्रतका स्वरूप परिग्रहपरिमाण व्रतकी भावनाओंका निरूपण परिग्रहपरिमाण व्रतके अतिचारोंका वर्णन दिग्विरति गुण व्रतका वर्णन दिग्विरति गुणवतके अतिचार
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