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तृतीय भाग में १. लाटीसंहिता, २. व्रतोद्योतन श्रावकाचार, ३. उमास्वाति श्रावकाचार, ४. पूज्यपाद श्रावकाचार आदि रहेंगे। इसके अतिरिक्त इन दोनों भागोंमें, चारित्र प्राभृत, तत्त्वार्थसूत्र, पद्मचरित आदि से उद्धृत अंश परिशिष्ट में रहेंगे ।
जिन श्रावकाचारोंका संग्रह किया गया है, वे सभी विभिन्न स्थानोंसे पूर्व प्रकाशित हैं किन्तु सभीके मूल पाठोंका संशोधन और पाठ -मिलान ऐ० प० दि० जैन सरस्वती भवनके हस्तलिखित मूल श्रावकाचारोंसे किया गया है । यशस्तिलकगत श्रावकाचार 'उपासकाध्ययन' के नामसे भारतीय ज्ञानपीठसे प्रकाशित हुआ है, उसीके आधार परसे केवल श्लोकोंका संकलन प्रस्तुत संग्रह किया गया है । पूजन सम्बन्धी गद्यभाग एवं कथानकोंका गद्यभाग स्व० डॉ० उपाध्येके परामर्शसे नहीं लिया गया है।
दूसरे भाग के साथ भी प्रस्तावना नहीं दी जा रही है। हाँ, तीसरे भाग के साथ विस्तृत प्रस्तावना दी जावेगी, जिसमें संकलित श्रावकाचारोंकी समीक्षाके साथ श्रावकाचारका क्रमिक विकास भी दिया जावेगा । तथा संकलित श्रावकाचारोंके कर्त्ताओंका परिचय भी दिया जावेगा । सम्पादनमें प्राचीन प्रतियोंका उपयोग किया गया है, उनका भी परिचय तीसरे भाग में दिया जायेगा। तीसरे भागमें ही समस्त श्रावकाचारोंके श्लोकोंकी अकारादि-अनुक्रमणिका भी दी जायगी एवं आवश्यक पारिभाषिक शब्दकोष आदि भी परिशिष्ट में ही दिये जावेंगे ।
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अन्त में संस्था के मानद मंत्री, स्व० डॉ० उपाध्ये और श्रीमान् पं० कैलाशचन्द्रजी सिद्धान्त शास्त्रीका बहुत आभारी हूँ, जिन्होंने इस प्रकाशन के लिये समय-समय पर सत्परामर्श दिया है । श्री० पं० महादेवजी चतुर्वेदीका भी आभारी हूँ कि उन्होंने प्रूफ-संशोधन का भार स्वीकार करके इस भाग को शीघ्र प्रकाशित करने में सहयोग दिया है। शुद्ध और स्वच्छ मुद्रणके लिए वर्द्धमान मुद्रणालयका भी आभारी हूँ
ऐ० पन्नालाल दि० जैन सरस्वती }
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- हीरालाल सिद्धान्तशास्त्री
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