________________
श्रावकाचार-संग्रह
बिसने श्रेष्ठ धर्मका पालन किया था, जो जिन वचनोंमें तल्लीन रही थी और जिसने दृढतापूर्वक संयम पालन किया था ऐसी रेवती रानी समस्त सुखोंकी निधि ऐसे ब्रह्म स्वर्गमें जाकर देव हुई थी ॥१॥ इस प्रकार भट्टारक सकलकीर्ति विरचित प्रश्नोत्तरश्रावकाचारमें निर्विचिकित्सा और अमूढदृष्टि बंगमें प्रसिद्ध होनेवाले राजा उद्दायन और रेवती रानीकी कथाको निरूपण करनेवाला
यह सातवा परिच्छेद समाप्त हुआ ॥७॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org