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________________ .... ३४५ ३४५ ३४५ ३४६ ३४७ ३४८ ३४८ ३४९ ३५२ ३५५ ..... ३५६ ३५७-३६३ ३५७ ३५७ .... ३५७ धर्मध्यानका चिन्तन करते हुए सामायिकके समय आनेवाले उपसर्गों __ और परिषहोंको शान्ति और धैर्यसे सहन करें। सामायिकके समय किसी भी प्रकारका आर्त या रौद्र ध्यान न करे भाव सामायिक करनेवाला वस्त्रयुक्त मुनि समान है सामायिक महाफलोंको बताकर त्रिकाल करनेका उपदेश पंच नमस्कार मंत्रकी महिमा बताकर उसके जपनेका उपदेश सामायिकके समय स्वाध्याय आदि अन्य आवश्यकोंके करनेका उपदेश सामायिकके अतिचार और उनके त्यागका उपदेश । सामायिकके ३२ दोषोंका विस्तृत वर्णन और त्यागका उपदेश कायोत्सर्गके ३२ दोषोंका विस्तृत वर्णन और त्यागका उपदेश सर्वदोष-रहित होकर दो घड़ी भी कायोत्सर्ग करनेवाला परुष __ अनेक जन्मार्जित पापोंका क्षय कर देता है सामायिकको महिमा बताकर प्रतिदिन करनेकी प्रेरणा उन्नीसवाँ परिच्छेद मल्लि जिनको नमस्कार कर प्रोषधोपवास शिक्षाव्रतका निरूपण उपवासमें चतुर्विध आहारका परित्याग आवश्यक है उपवासके दिन जल पीनेसे उपवासके फलका अष्टम भाग नष्ट हो जाता है उपवासके दिन काषायिक द्रव्य मिश्रित एवं ओदनादि मिश्रित मांड आदिके पीनेसे भी उपवास भग्न हो जाता है उपवासके दिन स्नानादि करनेका निषेध प्रोषध ग्रहण कर जिनालय, शून्यगृहादि एकान्त स्थानमें रहे उपवासके दिन आत्मचिन्तन, पंचपरमेष्ठी-स्मरण और स्वाध्याय ___ आदिमें काल-यापन करे अष्टमी और चतुर्दशी पर्वकी महत्ता तथा उस दिन उपवास करनेका फल वर्णन पर्वके दिन स्त्री-सेवन करनेवाले विष्टा आदिके कीड़ोंमें उत्पन्न होते हैं पर्व दिनोंमें किया गया उपवास महान् तप है अनशन तपकी महिमाका वर्णन तप-हीन व्यक्ति इस लोकमें रोगी दरिद्री और परलोकमें नरक. तिर्यग्गतिके दुःख भोगता है प्रोषधोपवास व्रतके अतिचार और उनके त्यागनेका उपदेश प्रोषधव्रतका माहात्म्य बताकर उसे पालन करनेकी प्रेरणा नोसवां परिच्छेद मुनिसुव्रत जिनको नमस्कार कर अतिथि संविभाग शिक्षाव्रतका वर्णन पात्रोंके भेद बताकर उत्तम पात्रोंका स्वरूप-निरूपण ३५७ ३५७ ३५८ ३५८ ३५८ ३५९ ३६० ३६० ३६० .... ३६२ ३६३ ३६४-३८३ ३६४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001552
Book TitleShravakachar Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1998
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size14 MB
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