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मुष्टि-यष्टि आदि जीवघातका निषेध और यत्नाचार - पूर्वक सभी गृह-कार्यं करनेका उपदेश
हिंसा के दोषोंका दिग्दर्शन
• अहिंसाणुव्रत के अतिचार निरूपण कर उनके त्यागनेका उपदेश
अहिंसाणुव्रत में प्रसिद्ध मातंगका कथानक हिंसा पाप में प्रसिद्ध धनश्रीकी कथा
तेरहवाँ परिच्छेद
विमल जिनको नमस्कार कर सत्याणुव्रतका वर्णन
सर्व प्रकारके असत्य, कटुक और लोक-निन्द्य बचनोंके त्यागका उपदेश सत्य वचन बोलने की महिमा
मूक, धिर आदि होना असत्य वचनका फल है विद्या, विवेक आदि पाना सत्य वचनका फल है सत्याणुव्रत के अतिचार वर्णन कर उसके त्यागनेका उपदेश
सत्यवादी धनदेव की कथा
असत्यवादी सत्यघोषकी कथा
असत्य बोलनेसे वसुराजा आदिकी दुर्गतिका निर्देश चौदहवां परिच्छे
अनन्त जिनका नमस्कार कर अचौर्याणुव्रतका वर्णन प्रथम तो अन्यका पतित, विस्मृत या स्थापित धनको ग्रहण ही न करे, यदि स्वामीका पता न चले और उसका त्याग न किया जा सके तो लेकर किसी पुण्य कार्य में लगा देनेका निर्देश
चोरीसे या अन्याय से प्राप्त धन उभय लोक विध्वंसी है ऐसा जानकर चोरीके सर्वथा त्यागका उपदेश
अचौर्याणुव्रत अतिचार और उनके त्यागका उपदेश अचौर्याणुव्रत में प्रसिद्ध वारिषेणका उल्लेख चोरी पापमें प्रसिद्ध तापसकी कथा
पन्द्रहवां परिच्छेद
धर्मं जिनको नमस्कार कर ब्रह्मचर्याणुव्रतका वर्णन परस्त्री - सेवनके दोषोंका दिग्दर्शन
परस्त्री गमन उभय लोक विनाशक है।
शीलरत्नको पालनेवालोंकी प्रशंसा
ब्रह्मचर्याणुव्रतके अतिचार और उनके त्यागका उपदेश ब्रह्मचर्याणुव्रत में प्रसिद्ध नीली बाईकी कथा अब्रह्म सेवनमें प्रसिद्ध कोट्टपालकी कथा
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