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श्रावकाचार-सग्रह
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निर्मल गुणोंसे ही उत्तम गिने जाते हैं, इनका स्वरूप श्री जिनेंद्रदेव ने कहा है, इनका स्वरूप अनेक नयोंसे कहा जाता है और सम्यग्दर्शन रूपी रत्नके लिये ये मुख्य कारण हैं इसलिये हे भव्य जीव ! ज्ञानको बढ़ानेके लिये और मोक्ष प्राप्त करनेके लिये तू इन तत्त्वोंको धारण कर-इनको जान ॥८६॥
इस प्रकार आचार्य सकलकीति विरचित प्रश्नोत्तरश्रावकाचारमें सात तत्त्व और नौ पदार्थोंके स्वरूपको वर्णन करनेवाला यह दूसरा परिच्छेद समाप्त हुआ ॥२॥
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