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श्रावकाचार-संग्रह जितेन्दुपर्षज्जनमन्यमाना मेधाविनो ये व्रतपञ्चकं तत् ।
प्रपाल्य संन्यासविधिप्रमुक्तप्राणाः श्रियस्ते द्युभवा लभन्ते ॥८३ लोगोंसे माननीय जो मेधावी पुरुष ऊपर कहे हुए पाँच प्रकारके अणुव्रतोंका पालन करके संन्यास विधि पूर्वक अपने प्राणोंका परित्याग करते हैं वे पुरुष स्वर्गको लक्ष्मीके भोगनेके अधिकारी होते हैं ॥८३॥
इति सूरिश्रोजिनचन्द्रान्तेवासिना पंडितमेधाविना विरचिते श्रीधर्मसंग्रहे
व्रतस्वरूपवर्णनो नाम तृतीयोऽधिकारः ॥ ३ ॥
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