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जोइंदु-विरइ
[352 : २-२१३352) जं तत्तं णाण-रूवं परम मुणि-गणा णिच्च झायंति चित्ते
जं तत्तं देइ-चत्तं णिवसइ भुवणे सव्व-देहीण देहे । जं तत्तं दिव्व-देहं तिहुवण-गुरुगं सिज्झए संत-जीवे
तं तत्तं जस्स सुद्धं फुरइ णिय-मणे पावए सो हि सिद्धि ॥२१३॥ 353) परम-पय-गयाणं भासओ दिव-काओ
मणसि मुणिवराणं मुक्खदो दिव्व-जोओ । विसय-सुह-रयाणं दुल्लहो जो हु लोए जयउ सिव-सरूवो केवलो को वि बोहो ॥२१४॥
352) A दिनदेहे; AC गुरुवं; B गुरवं; B खो हु. 353) TAM कोइ for को वि.
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