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लिये दूसरे स्थानपर जाना पड़े । ग्रहण करनेकी समाचारी उससे।
है। वा-अथवा। सागारिअ-गृहस्थ ।
अलेवेण वा-अथवा छाछके निआगार-घर । साधुको गृह- तारे हुए पानीसे, अलेपसे । स्थके समक्ष आहार-पानी करना यहाँ अलेप शब्दसे साबूदानेका निषिद्ध है अतः गृहस्थके आ धोवन तथा छाछ-मट्ठाका जानेपर अन्यत्र जाकर आहार नितरा हुआ पानी ग्रहण पानी करे तो उसको सागारि
करनेकी समाचारी है। कागार कहते हैं।
| अच्छेण वा -- अथवा स्वच्छ आउंटण - पसारणेणं - सुन्न
पानीसे। पड़ जानेसे अथवा झनझनाहट अच्छ-तीन बार उकाला हुआ आनेसे शरीरके अङ्गोपाङ्ग पानी, निर्जीव, निर्मल जल सिकोड़ने या फैलानेसे।
तथा फल आदिका धोवन । आउंटण-सङ्कोच, सिकुड़ना। बहुलेवेण वा-अथवा चावल पसारण-विस्तार, अङ्गोंको
आदिके धोवनसे । फैलाना ।
यहाँ बहुलेवेण शब्दसे चावल गुरु-अब्भुटाणेणं-गुरु अथवा आदिके धोवनका पानी ज्येष्ठ मुनिके आ जानेसे खड़ा
लेनेकी समाचारी है। होना पड़े उससे । | ससित्वेण वा-अथवा राँधे हुए गुरु-गुरु, अपनेसे पहले दीक्षित चावलोंके गाढ़े माँडसे ।
मुनि । अब्भुट्ठाण-खड़ा ससित्थ-राँधे हुए चावलोंका होना ।
धोवन । पाणस्स-पानी सम्बन्धी।
असित्थेण वा-अथवा चावल लेवेण वा-ओसामण, इमली, | आदिके पतले माँडसे ।
दाख आदिके पानीसे, लेपसे । असित्थ-जो वस्तु अधिक न यहाँ लेप-शब्दसे ओसामण | धोयी गयी हो पर सामान्य
इमली, दाख आदिका पानी धोयी गयो हो।
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