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२५६ धन्य हैं जिनको पोषध-प्रतिमा ( प्रतिज्ञा ) जीवनके अन्ततक अखण्डित रही ।। १ ।।
श्रवण भगवान् महावोर जिनके व्रतकी दृढताकी प्रशंसा करते हैं, वे सुलसा, आनन्द और कामदेव आदि धन्य और प्रशंसनीय हैं ।।२।।
शेष स्पष्ट है। सूत्र-परिचय
इस सूत्रसे पोषध पूर्ण किया जाता है ।
पोषध त्यागने योग्य अठारह दोष
१. पोषधमें विरति-रहित किसी अन्य श्रावकका लाया हुआ आहार
पानो वापरना-काममें लाना । २. पोषधके निमित्त सरस ( रसादियुक्त ) आहार लेना। ३. उत्तरवारणाके दिन विविध प्रकारको सामग्री वापरना । ४. पोषधके निमित्त उसके पूर्व देहविभूषा करनी । ५. पोषधके निमित्त वस्त्रादि धुलवाना। ६. पोषधके निमित्त आभूषण बनवाना और पोषधके समय धारण करना। ७. पोषधके निमित्त वस्त्र रंगवाना । ८. पोषधके समय शरीरसे मैल उतारना । ९. पोषधमें असमयमें शयन करना अथवा निद्रा लेना ।
( रात्रिके दूसरे प्रहरमें संथारा-पोरिसो करके निद्रा लेना उपयुक्त है।) १०. पोषधमें अच्छे-बुरे आहारके सम्बन्धमें चर्चा करना ।
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