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हाथ एकतरफ कर दिया। श्रीचन्दनबाला जग गयीं और पूछा कि 'मुझको क्यों जगाया ?' तब इनके दिये गये उत्तरसे ज्ञात हुआ कि मृगावतीको केवलज्ञान हुआ था। तदनन्तर इन्हें खमाते हुए श्रीचन्दनबालाको भी केवलज्ञान उत्पन्न हुआ और दोनों मोक्ष में गयीं।
१९ प्रभावती:-ये चेटक महाराजकी पुत्री और सिन्धुसौवीरके अन्तिम राजर्षि उदायन (४०) को पटरानी थीं। श्रीजिनेश्वरदेवके प्रति इनको अपूर्व भक्ति थी।
२० चेल्लणा:-ये चेटक महाराजकी पुत्री और महाराज श्रेणि-- ककी पत्नी थीं। प्रभु महावीर की ये परम श्राविका थीं। एक समय श्रेणिकको इनके शीलपर सन्देह हुआ, परन्तु सर्वज्ञ प्रभु महावीरके वचनसे वह दूर हुआ । शीलवतके अखण्ड पालनके कारण इनकी गणना सती. स्त्रियोंमें होती है।
२१-२२ ब्राह्मी और सुन्दरी :-श्रीऋषभदेव भगवान्की विदुषी पुत्रियाँ । एक लिपिमें प्रवीण थीं, और दूसरी गणितमें । दोनों बहिनोंने दीक्षा लेकर जीवनको उज्ज्वल किया। और बाहुबलीको उपदेश देनेके लिये ये दोनों बहिने साथ गयी थीं।
२३ रुक्मिणी :-एक सती स्त्री, जो श्रीकृष्णकी पटरानी रुक्मिणीसे पृथक् थीं।
२४ रेवती:-भगवान् महावीर की परम श्राविका । प्रभुको रुग्णावस्थामें भक्तिभावसे कूष्माण्डपाक बहोराकर तीर्थङ्कर-नामगोत्र बाँधा था। आगामी चौबीसीमें समाधि नामक सत्रहवाँ तीर्थङ्कर होंगी !
२५ कुन्ती :-पांच पाण्डवोंकी माता । कथा प्रसिद्ध है ।
२६ शिवा :-ये चेटक महाराजको पुत्री और महाराजा चण्डप्रद्योतकी रानी थीं। तथा परम शीलवती थीं। ये देवकृत उपसर्गसे भी चलायमान नहीं हुई थीं। उज्जयिनी नगरीमें अनेक बार आग लगती
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