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कमल-गर्भ-सम-गौरी-कमल- । भगवती-पूज्य ।
के मध्यभाग जैसे गौर वर्णवाली।। ददातु-प्रदान करे। कमले-कमलमें।
श्रुतदेवता-श्रुतदेवता। स्थिता-स्थित।
| सिद्धिम्-सिद्धि । अर्थ-सङ्कलना
कमल-पत्र जैसे विशाल नयनोंवाली, कमल जैसे मुखवार कमल के मध्यभाग जैसे गौर वर्णवालो और कमल पर स्थित पूज्य श्रुतदेवता सिद्धि प्रदान करे ॥१॥ सूत्र-परिचय
यह स्तुति श्रुतदेवताकी है। और इसको 'सुयदेवया थुई' सूत्र ३५के स्थान पर स्त्रियाँ बोलतो हैं ।
३८ वर्धमान-स्तुतिः
[ 'नमोऽस्तु वर्धमानाय'-सूत्र ] मूल
इच्छामो अणुसढि नमो खमासमणाणं । नमोऽर्हत्-सिद्धाचार्योपाध्याय-सर्व-साधुभ्यः ।
[अनुष्टुप् ] नमोऽस्तु वर्धमानाय, स्पर्धमानाय कर्मणा । तज्जयावाप्तमोक्षाय, परोक्षाय कुतीर्थिनाम् ॥१॥
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