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हुआ शस्त्र । जैसे कि:- धनुषके निकट तीर रखना। ऊखलके पास मूसल रखना । बन्दूक भरकर रखना आदि । भोगातिरिक्त-भोगोंकी अधिकता, आवश्यकतासे अधिक भोग भोगना।
दंडम्मि अणटाए-अनर्थ-दण्डके
विषयमें, अनर्थ-दण्ड विरमण
व्रत नामके। तइअम्मि गुणव्वए-तीसरे गुण
व्रतके विषयमें। निदे-मैं निन्दा करता हूँ।
अर्थ-सङ्कलना
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अनर्थदण्ड-विरमण-व्रत नामके तीसरे गुण-व्रतके विषयमें (१) कन्दर्प, (२) कौत्कुच्य, (३) मौखर्य, (४) संयुक्ताधिकरण और (५) भोगातिरिक्तताके कारण जो अतिचार लगे हों, उनकी मैं निन्दा करता हूँ ॥ २६ ॥ मूलतिविहे दुष्पणिहाणे, अणवट्ठाणे तहा सई-विहूणे । सामाइय वितह-कए, पढमे सिक्खावए निंदे ॥ २७ ॥
शब्दार्थ
तिविहे - दुप्पणिहाणे - तीन अणवट्ठाणे-अनवस्थानके विषयमें,
प्रकारके दुष्प्रणिधानके विषय- एक स्थान छोड़कर दूसरे में; मनो-दुष्प्रणिधान, वचन- स्थानपर जानेसे। दुष्प्रणिधान और काय-दुष्प्र
तहा-इसी प्रकार । णिधानके विषयमें। दुप्पणिहाण-दुष्ट-प्रणिधान,दुष्ट । सइ-विहूणे-स्मृति - विहीनत्वके . प्रकारकी एकाग्रता।
विषयमें।
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