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कन्या जाड्येन चापल्ये क्षमायां सुभगादरे । व्यवसाये तुला कीटः पैशुन्यखलतेच्छया ॥ १४ ॥
अन्वय-जाड्येन कन्या, चापल्ये क्षमायां सुभगादरे व्यवसाये तुला पैशुन्यखलतेच्छयाकीटः॥१४॥
अर्थ-जड़ता में कन्या राशि, चपलता में, क्षमा में (सौभाग्यशाली के) अतिथी आदर सत्कार के भाव में तुला राशि, पिशुनता एवं दुष्टावस्था में वृश्चिक (कीटः) राशि होती है।
रणे छायावाहनादेः संग्रहे धन्वितान्विता । समुद्रवार्तया क्रीयांचापल्ये मकरो हृदि ॥ १५ ॥
अन्वय-रणे, छाया वाहनादेः संग्रहे धन्विता, समुद्रवार्तया क्रौयात् हृदि चापल्ये मकरः ॥१५॥
अर्थ-रण में आश्रय (घर) वाहन आदि के संग्रह में अर्थात् वीर रस या संग्रह की वृत्ति में धनुराशि तथा समुद्रयात्रादि कार्य भावना में मकर राशि का अनुमान किया जाता है। क्रूरता में एवं चपलता युक्त हृदय में मकर राशि मानी जाती है।
स्थैर्येण कार्ये सारस्येऽमलिनाचरणारूचेः। कुंभोदयोऽथ मांगल्ये मीनो धर्मे शिते शुभे ॥ १६ ॥
अन्वय-कार्ये स्थैर्येण सारस्ये अमलिनाचरणारूचेः कुम्भोदयः धर्मे शिते शुभे मांगल्ये मीनः ॥ १६ ॥
अर्थ-स्थिरता युक्त कार्य में, सद्भावयुक्त शुद्धाचरण में कुम्भ राशि और उसके पश्चात् मांगलिक प्रसंग में, धर्म में शुभ कर्म में मीन राशि मानी जाती है।
वस्तु यद्राशिसंबद्ध-मुपानेयमचिन्तिम् । भक्ष्यं वा मनसा ध्येयं मनोराशिः मनोजवत् ॥१७॥
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अर्हद्गीता
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