SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बदले ऐसे क्रियाये करना, मखौल है यह तो एक ऐसी क्रिया है जिसका अनुकरण है कि किसी पुरुष या स्त्री को, भूत, भूतनि (डाकिण) लग जाने पर तांत्रिक लोग रौद्र दृष्टि कर पानी छांटकर भगाने की क्रिया करते है जो साक्षात् मिथ्यात्त्व की क्रिया है । निर्वाण कलिका के अनुसार मंदिर में होने वाली विधियों के अन्तर्गत प्रसाद पुरुष की भी एक विधि है । यह प्रायः सब मंदिरों में होती है मंदिर में मूलनायक प्रतिमा के ठीक ऊपर शिखर के आखिरी भाग में पुरुष की आकृति को याने प्रसाद पुरुष को गाड दिया जाता है। जैन शास्त्रों में एक कथा आती है कि मिट्टी पानी से पाडाओं की आकृति बनाकर मारा था जिसको हत्या का पाप लगा था तो हमें पुरुष हत्या का पाप नहीं लगेगा क्या ? ये सब विधिये अजैनों के यहां से अपनाई गई है । उदाहरणार्थ :जोधपुर के महाराज ने किला बनाते समय राजीया नाम का आदमी जीवित ही गाड़ दिया गया था। जैन कथानुयोग में अमर कुमार की कथा भी इसी के अनुरूप है । और आज भी कई एक प्रसंगों में ऐसी विधी के अनुरूप जानवरों की बलि देने की प्रथा है । यह सर्व विदित है कि जैन धार्मिक क्रियायों में ऐसी कोई भी क्रिया करना जैन धर्म के विरुद्ध है । अतः इन सभी तथ्यों पर गहराई से सोचे, विचारें और आराधना के वहां विराधना से बचे यहीं एक हार्दिक इच्छा । अहिंसा मय जैन धर्म के सिद्धांतो पर विचार करें । Jain Education International - हजारीमल क्या यह सत्य है ? ( 37 www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only
SR No.001506
Book TitleKya yah Satya hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHajarimal Bhoormal Jain
PublisherShuddh Sanatan Jain Dharm Sabarmati
Publication Year1994
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy