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________________ ७3 (ii) मागधी के रूप 1. वयम् = हगे 8.4.301 2. ताव = दाव न्त = न्द 8.4.302 3. च्छ = श्च 8.4.295 | 4. ट्ट = ष्ट = स्ट 8.4.290 5. ध = य्य 8.4.292 6. स्थ, र्थ = स्त 8.4.291 7. स्क, स्त, स्म के संयुक्त 8. ष्ट = स्ट, ष्ण = स्न, ष्म = स्म प्रयोग 8.4.289-291 8.4.289 (iii) पैशाची के रूप 1. ण्य = ञ 8.4.305 2. लकार का ळकार 8.4.308 3. टकारका वैकल्पिक तकार 8.4.311 4. तत् एवं इदम् के तृतीया एकवचन के पुंलिंग एवं स्त्रीलिंग के रूप 'नेन' और 'नाए' 8.4.322 5. कर्मणि प्रयोग का प्रत्यय 'इय्य' 8.4.315 6. 'ष्ट्वा' कृदन्त प्रत्यय के बदले में 'त्थून' और 'खून' प्रत्यय 8.4.313 7. भविष्यत् काल का प्रत्यय ‘एय्य' 8.4.320 (- स्स - के बदले में) । 8. चूलिका पैशाची में रकार का वैकल्पिक लकार 8.4.326 वररुचिके द्वारा किये गये निम्नरूप हेमचन्द्र के प्राकृत व्याकरण में नहीं मिलते हैं। (i) शौरसेनी के रूप 1. पुत्र = पुड या पुट्ट 12.5 (कभी कभी) 2. ण्य, ज्ञ, न्य = ञ (अथवा ब), 12.7 अर्थात् सूत्र नं. 11.2 के अनुसार मागधी में भी। (हेमचन्द्र के अनुसार सिर्फ मागधी में न 8.4.293) 3. कर्मणि भूतकृदन्त के अकारान्त शब्दोमें -अः का -अ, - इ, -उ, -ए हो जाना (सूत्र 11.11) 4. पुं. प्र. ए. व. का विभक्ति प्रत्यय -इ (सूत्र 11.10) (ii) मागधी के रूप हृदय = हडक्क 11.6; र्ज = य्य 11.7; अहं = हके, अहके 11.9; सं. भू. कृदन्त का प्रत्यय - क्त्वा = दाणि 11.16 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001478
Book TitleHem Sangoshthi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages130
LanguageGujarati, Hindi, Prakrit
ClassificationBook_Gujarati & Articles
File Size7 MB
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