________________
[ 8 ]
गाहा
अइ- पीणुन्नय-सिहिणा, दीहर- नयणा पसत्थ- बाहुलिया ।
सुवियक्खणा सुसीला, सीलमई गेहिणी तस्स ॥१०
मालती-रूपक
नक्नेह - निहाण - समुल्लसियं हसियं, तिय तिक्खरुडक्खवियक्खणयं तणयं ( ? ), सिंगा - रसालतरुं अहसं ( ? ), अइह रेहइ माणिणि जुव्वणयं तणयं ॥ ११
षट्पद ससिवयणी - सहयारु बाहु सक्खवम भासइ विलु नियंबह बिंबु थोरथुड - थाणु पयासइ । अंगुलि - साहंतरई नयणवर - पत्त - लहक्कउ नह - फुल्लिहिं फुल्लियउ अहर- मंजरी - महक्कउ
घण
- पीण - पउहर अंबहल, बहुव- सुरय- रइ - रस - भरिय | दट्ठइ मणु कस्स न उल्हसइ, पर वसंत - संपइ वरिय ॥ १२
पद्धडी
पावस- कालु पहुत्तउ इत्थंतरिहि
उत्तर- दिसि सत्तपडु अब्भय अंबरिहिं ( ? ) । कंसारिय कुररयंतिय तिवरिय रसि रसइं दद्दुर - सरि दुररं तह कोलाहलु करइ ॥ १३ पहुवि हरि - मिसि मेहह संगमि उद्दसइ वार वाहल बहकइं वणसई उल्लसई । बप्पीहय- सरि कामिणि प्रिउ मणि संभरई सुघरिय-काय - पमुह पंखिय मालउ करई ॥१४ - किरणु सहसकरु सोहइ गयणयलि
कालंबिणि डुंबण (?) किरि भायणु सिर कमल । पंथिय घर सुमरंतह झूरइं निसिहिं भरि
घु गज्जंते धुज्जई माणिणि मुद्ध डरै ॥ १५
सिउ रसु वरिसालइ मालइ - मालियइ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org