SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 108
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [95] गाथा अह राया ललिअंगो, ललिअंग चंप-नयरि-वर-रज्जं । कुणमाणो कयसुकयं, जाओ लोयाण सुह-हेऊ ।। ५१६ अह एगया सु पुच्छिय, सुपरिक्खिय नामयं निअं सइवं । सकलत्तो संचलिओ, सह परिवारेण सारेण || ५१७ निय-नयर-पियर-दंसण-उक्कंठिय-नियय-हियय-साणंदो । ललिअंग-नरवरिंदो, पत्तो सिरिवास-पुर-तीरं ।। ५१८ ।। पद्धडी जव पत्त नयर-परिसरि नरेस, उल्लसिय चित्ति पुर-जण असेस । वद्धावइ के-वि नरराय-वीर, तसु दिअइ कणय-केकाण चीर ।। ५१९ जिम सरइ सुरहि निय-वच्छ-नेह, पंथिय जिम पावस-समयि गेह । जिम सरइ भसल पच्चय(?) जाइ, जिम सरइ डिंभ खुह-खिण्ण माइ ।। ५२० जिम सरइ सरोवर राजहंस, जिम सरइ पुरिसवर निय सुवंस ।। कुलवंति जेम समरइ भतार, जिम सरइ साहु संसार-पार ॥ ५२१ जिम सरइ विंझ-वण वारणिंद, जिम सरइ सुसायर पुण्ण-चंद । जिम सरइ चक्क पच्चूस-काल, जिम सरइ सुकोइल तरु रसाल ॥ ५२२ तिम समरिय नरवइ पुत्त-पेम, जल-सिंचिय जल-नालेरि जेम । अविलंब अंब-पिय-पुज्ज-पाय, लहु नमइ नेहि ललिअंग-राय ॥ ५२३ तव हरसिय निय-मणि जणणि तास, चिर जीव पुत्त तउं कोडि वास । इम दिती बहु आसीस जाम, नरवाहणि भुअ-विचि लिद्ध ताम ॥ ५२४ बिहु मिलिय महासुह कंठ-देस, आलिंगण-रंग-सुरंग-वेस । तिणि खणि सुअ-संगमि पत्त-सुक्ख, नरवाहणि पामिय जेम सुक्ख ॥ ५२५ दूहा (राग मल्हार) अगलिय-नेह-निवट्टाहं, जोअण-लक्खु वि जाउ । वरिस सएण-वि जो मिलइ, सहि सो सुक्खहँ ठाउ ।। ५२६ मेहा मोरा दादुरां० ॥५२७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001476
Book TitleSagardatt and Lalitang Rasaka
Original Sutra AuthorShantisuri , Ishwarsuri
AuthorShilchandrasuri, H C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages114
LanguageApbhramsa
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Kavya
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy