SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 10
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भूमिका १. अपभ्रंश साहित्य अपभ्रंश साहित्य की एक ऐसी विशिष्टिता है जो तुरंत ही ध्यान में आती है और वह उसे संस्कृत और प्राकृत साहित्य से भिन्नता प्रदान करती है। यदि हम कहें कि अपभ्रंश साहित्य अर्थात् जैनों का ही साहित्य, तो मी चलेगा। चूंकि नैनों का इसमें जो समर्थ और वैविध्यपूर्ण निर्माण है उसकी तुलना में बौद्ध और ब्राह्मण (यह तो अभी खोजना है-इसमें कुछ इधर-उधर बिखरे उल्लेख और कुछ टिप्पणियाँ ही मिलती हैं) परंपरा का प्रदान अपवादरूप है और उसका मूल्य भी सीमित है । इस समय तो ये कहा जा सकता है कि अपभ्रंश साहित्य अर्थात् जैनों का निजी क्षेत्र–हाँ, यदि हमें मिली है उतनी ही अपभ्रंश रचनायें हो तो ही उपर्युक्त विधान स्थिर माना जायेगा । परंतु अभी अपभ्रंश साहित्य के अन्वेषण की इतिश्री नहीं हो गयी है-इस दिशा में अभी बहुत कुछ करना शेष है । संभव है, भविष्य में महत्पूर्ण या उल्लेखनीय संख्या में जैनेतर कृतियों के बारे में पता चले । __ मुख्यतः जैन और धर्मप्राणित होने के अलावा अपभ्रंश साहित्य की एक और भ्यानाकर्षक लाक्षणिकता है उसका एकान्तिक पद्यस्वरुप । अपभ्रंश गद्य नहीं के बराबर है । उसका समग्र साहित्यप्रवाह छन्द में ही बहता है। परंतु भामह-दंडी आदि स्पष्टतः अपभ्रंश गद्य-कथा का उल्लेख करते हैं, इस पर से लगता है कि गद्यसाहित्य भी था । फिर भी देखना होगा कि अपभ्रंश में साहित्यिक गद्य की कोई प्रबल परंपरा विकसित हुई थी या नहीं ? किन परिस्थितियों में अपभ्रंश भाषा और साहित्य का उद्गम हुआ ? ये हकीकत आज तक लगभग प्रकाश में नहीं आयी। आरंभिक साहित्य लगभग लुप्त हो गया है । अपभ्रंश साहित्यविकास के प्रथम सोपान कौन से थे, यह जानने के लिये कोई साधन-सामग्री उपलब्ध नहीं है । आज हम उस स्थिति में नहीं है स्पष्ट रूप से समझा सके कि अपभ्रंश के अपने निजी और आकर्षक साहित्यप्रकार तथा छन्दों का उद्भव कहाँ से हुआ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001465
Book TitleApbhramsa Vyakarana Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages262
LanguageApbhramsa, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy