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श्री सरस्वतीमहापूजन
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अष्टप्रकारी पूजा आ पूजनमा प्रथम अष्टप्रकारी पूजन पछी वस्त्र के आभरणपूजन अने पछी भावपूजनना अधिकारे ध्यान, स्तोत्रश्रवण आदि क्रियाओ करवानी होय छे.
जलपूजा गौतमपदभक्तायै, विद्यापीठप्रतिष्ठितायै च । श्रीभारत्यै देव्यै, समर्पयामो जलं स्वाहा ।।१।। त्यार बाद नीचेनो मंत्र १०८ वखत बोलवापूर्वक १०८ वखत श्रीसरस्वतीदेवीनी प्रतिमा तथा यंत्रने अभिषेक करवो. श्री सरस्वत्यै जलं समर्पयामि स्वाहा ।
गन्धपूजा नवपुव्वीणं नम इत्येतन्मन्त्रपदप्रतिष्ठाप्ताम् । सुमधुरसुगन्धिचूर्णैर्भक्त्या सम्पूजयामोऽद्य ।।२।। त्यार बाद नीचेनो मंत्र १०८ वखत बोलवापूर्वक १०८ वखत श्रीसरस्वतीदेवीनी प्रतिमा तथा यंत्रने वासक्षेप करवो. मा श्री सरस्वत्यै गन्धं समर्पयामि स्वाहा ।
अक्षतपूजा दसपुवीणं नम / पदजापवरप्रदां सदा सुभगाम् । अक्षयबोधावाप्त्यै, समर्चयामोऽक्षतैर्देवीम् ।।३।। त्यार बाद नीचेनो मंत्र १०८ वखत बोलवापूर्वक १०८ वखत श्रीसरस्वतीदेवीनी प्रतिमा तथा यंत्रने अक्षत चडाववा. भु श्री सरस्वत्यै अक्षतान् समर्पयामि स्वाहा ।
पुष्पपूजा कमलगतां कमलनिभां, ४ नम इक्कारसंगधारीणं । एतत्पदवाच्यां वाग्-देवीं पुष्पैर्यजामोऽत्र ।।४।। त्यार बाद नीचेनो मंत्र १०८ वखत बोलवापूर्वक १०८ वखत श्रीसरस्वतीदेवीनी प्रतिमा तथा यंत्रने पुष्प चडाववां.
हा श्री सरस्वत्यै पुष्पं समर्पयामि स्वाहा ।
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