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________________ प्रकाशकनुं निवेदन कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्यनी नवमी जन्मशताब्दी ( संवत् २०४५) ना पुनित उपलक्ष्यमां, पूज्य आचार्य श्रीविजयसूर्योदयसूरीश्वरजी महाराजनी शुभ भावना तथा प्रेरणा अनुसार आवेला आ ट्रस्ट तरफथी श्रीहेमचन्द्राचार्ये रचेला त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित -महाकाव्यनो त्रीजो भाग प्रगट करतां अमो अनहद आनंद अनुभवीए छीए. अगाउ, सं.२०४६मां आ ग्रन्थना प्रथम तथा द्वितीय भागोनुं प्रकाशन आ संस्थाए कर्तुं हतुं. त्यार पछीना भागोनुं संपादन पू. आचार्य श्रीविजयशीलचन्द्रसूरिजी करी रह्या हता. ते पैकी पंचम षष्ठ अने सप्तम पर्वात्मक त्रीजा भागनुं प्रकाशन आजे थई रह्युं छे. आग्रन्थनुं संपादन करी आपवा बदल तथा तेना प्रकाशननो लाभ अमने आपवा बदल पू. आचार्यश्रीना अमो ऋणी छीए. आशा छे के बाकीना भागोनुं पण तेओश्री सत्वरे संपादन करी आपे, जेथी तेनुं पण प्रकाशन अमो करीए . आ ग्रन्थनुं सरस मुद्रण करावी आपवा बदल अमदावादना श्रीसरस्वती पुस्तक भण्डारना संचालकोना अमो खूब आभारी छीए. आ ग्रन्थना प्रकाशन माटे अमदावादनी श्रीजैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक बोर्डिंग - संस्था तरफथी घणो आर्थिक सहयोग प्राप्त थयो छे, जे माटे ते संस्थाना अमो ऋणी रहीशुं. Jain Education International लि. कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य नवम जन्मशताब्दी स्मृति शिक्षण संस्कारनिधिनो ट्रस्टीगण For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001457
Book TitleTrishashtishalakapurushcharitammahakavyam Parva 5 6 7
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRamnikvijay Gani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages338
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size9 MB
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