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________________ प्रकाशकीय कलिकालसर्वज्ञ श्री हेमचन्द्रचार्यनी नवम जन्मशताब्दीना उपलक्ष्यमां आचार्य श्री विजयसूर्योदयसूरिजी महाराजनी प्रेरणा तेम ज मार्गदर्शन अनुसार स्थापवामां आवेला आ ट्रस्टना उपक्रमे थई रहेलां समृद्ध प्रकाशनोनी शृंखलामां एक वधु अने श्रेष्ठ ग्रंथनो उमेरो थई रह्यो छे ते अमारा माटे अनहद आनंद तथा गौरवनो विषय छे. कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्यनी विद्वन्मान्य प्रशिष्ट रचना 'छंदोनुशासन'नां प्राकृत-अपभ्रंश भाषानां प्रकरणो, जिज्ञासुओ माटे अने विशेषतः संस्कृत भाषाना अभ्यासी विद्वानो तेम ज विद्यार्थीओ माटे दुरूह अने कठिन प्राय गणाय तेवां छे. आ प्रकरणोनो गुजराती अनुवाद थाय तो आ कठिनाई सहेजे निवारी शकाय - तेवो विचार आपणा मूर्धन्य भाषाविद डो. हरिवल्लभ भायाणीने आव्यो. आ. श्री शीलचन्द्रसूरिजीए आ महत्त्वनुं कार्य करी आपवा माटे तेओने ज आग्रह कर्यो. सद्भाग्ये भायाणीसाहेबे, अनेकानेक अने वळी अतिमहत्त्वपूर्ण एवां अन्य सर्जन-संशोधन- संपादन कार्यो अंगेनी पोतानी व्यस्तता तेम ज पोतानी नादुरस्त तबियत छतां आ अनुवाद - कार्यने अग्रिमता आपी वहेलासर ते कार्य करी आप्युं, अने तेना प्रकाशन माटे अमारा ट्रस्टने हर्षपूर्वक ते सोंपीने अमोने आवा कार्य माटे योग्य तथा विश्वस्त गण्या, जे अमारा ट्रस्ट माटे अत्यंत गौरवप्रद घटना छे. समग्र विद्याजगत, आवा यशस्वी अने महत्त्वपूर्ण अनुवाद - कार्य बदल भायाणीसाहेबनुं ऋणी थवानुं छे तेमां तो शंका नथी ज, परंतु अमारुं ट्रस्ट पण तेओनुं आ माटे सदैव ऋणी छे अने रहेशे, अने अमोने आशा तथा श्रद्धा छे के श्री भायाणीसाहेब अमोने हंमेशां आ ज प्रमाणे तेओ श्रीना ऋणी बन्या करवानी तक आपतां ज रहेशे. विद्वज्जगत् आ ग्रंथनो खूब खूब लाभ ले तेवी अभ्यर्थना साथे, लि. Jain Education International क. स. हेमचन्द्राचार्य नवम जन्मशताब्दी स्मृति शिक्षण संस्कारनिधि, अमदावादनो ट्रस्टीगण For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001454
Book TitleChhandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages204
LanguagePrakrit, Apabhramsha, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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