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________________ [ 108] अर्धसम चंपककुसम ___एकी चरणोमां सात मात्रा अने बेकी चरणोमां आठ मात्रा होय, त्यारे अंतरसम चंपककुसुम बने छे। ते प्रमाणे तेनां ज बीजा अने त्रीजा चरणने उलटववाथी अर्धसम चंपककुसुम बने छ । __ अर्धसम चंपककुसुमनुं उदाहरण : गोरी गोट्ठि, दर-फुरिउट्ठि कलहंसी-गइ-, कलहे लग्गइ ॥ ११५ 'जेना होठ सहेज धूजी रह्या छे तेवी गोरी गोष्ठमां कलहंसीनी साथे गतिनी बाबतमां कलह करवा लागी छे ।' अर्धसम मुखपंक्ति अर्धसम मुखपंक्तिनुं उदाहरण : कृव-कण्ण-कलिंग परज्जिआ, ठिअ नरवइ माण-विज्जिअआ । न हु कोइ अभिट्टा अणिअ-वहि, कहिं वइरि जयद्दह कण्ह कहि ॥११६ 'कृपाचार्य, कर्ण, अने कलिंगराजनो पराभव कर्यो, बीजा राजाओ पण मानरहित थई गया, रणमार्गमां कोई पण सामे भीडवा आवतुं नथी । हे कृष्ण, कहे, आपणो शत्रु जयद्रथ कये स्थाने छे ?' नोंध :- आ प्रमाणे अर्धसमना बीजा प्रकारोनां उदाहरण पण जाणवां । संकीर्णा चतुष्पदी जे चतुष्पदी ध्रुवामां, आ पहेलां जेमनुं निरूपण कर्यु छे तेमनां मापवाळां बे, त्रण के चार चरणो मिश्ररूपे एक साथे होय, ते चतुष्पदी 'संकीर्णा' कहेवाय छ। जेमां बे चरणो जुदा जुदा मापनां छे तेवी संकीर्णा चतुष्पदीनुं उदाहरण : चूडुल्लउ बाहोह-जलु, नयणा कंचुअ विसम-थण । इअ मुंजिं रइआ दूहडा, पंच-वि कामहं पंच सर ॥ ११७ - "चूडुल्लउ", "बाहोह-जलु", "नयणा", "कंचुअ", "विसम-थण" - आ शब्दोवाळा पांच दोहा मुंजे कामदेवनां पांच बाण समा रच्या ।' जुदा जुदा मापवाळां त्रण चरणोनी संकीर्णा चतुष्पदी, उदाहरण : वायाला फरुसा विंधणा, गुणिहिं विमुक्का प्राणहर । जह दुज्जण सज्जण-जण-पउरि, तेवँ पसर न लहंति सर ॥ ११८ 'पवनवेगी, कठोर, वींधी नाखे तेवां, पणछमांथी छोडायेला अने प्राणने हरी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001454
Book TitleChhandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages204
LanguagePrakrit, Apabhramsha, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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