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________________ [ 105] 'समग्र जगतने में जीती लीधुं छे एम जाणी अत्यंत गर्विष्ठ बनेलो कामदेव, आंगळीओ जेवां सीधां पत्रवाळी विकसित केतकीरूपी हाथ ऊंचो करे छे ।' कुंजरविलसित जेनां बेकी चरणोमां तेर मात्रा छे अने एकी चरणोमां पंदर मात्रा छे ते कुंजरविलसित छंद- उदाहरण : सल्लइ-पल्लव-कवलप्पणु, रेवा-नइ-जलि मज्जण । तं 'कुंजर-विलसिउ' सुमरइ, गय-विरहिउ करेणु-गणु ॥ १०६ 'हाथीना विरहमां हाथणीओ, सल्लकीनां पल्लवोनो कोळियो आपवो, रेवा नदीना जळमां (साथे) स्नान करवू-एवा हाथीना विलास, स्मरण करी रही छे ।' राजहंस जेनां बेकी चरणोमां तेर मात्रा छे अने एकी चरणोमां सोळ मात्रा छे ते राजहंस छंद- उदाहरण : जइ गंगाजलि धवलि कालइ, जउणा-जलि जइ खित्तउ । 'रायहंसिन हु व न तुट्ट, सुब्भत्तणु तु-वि तेत्तउ ॥ १०७ 'श्वेत गंगाजळमां नाखो के श्याम जमनाजळमां नाखो, तो पण राजहंसनी शुभ्रता नथी वधती नथी घटती : एटली ने एटली ज रहे छ ।' अशोकपल्लवच्छाया जेनां बेकी चरणोमां तेर मात्रा छे अने एकी चरणोमां सत्तर मात्रा छे ते अशोकपल्लवच्छाया छंद- उदाहरण : - वयणु सरोजु नयण कुवलय-दल, हासु नव-फुल्लिअ-मल्लि । कर-पाय 'असोअ-पल्लव-च्छाय', सइ जि कुसुमाउह भल्लि ॥ १०८ 'वदन ए कमळ, नयन ए नीलकमळनी पांखडी, हास्य ए विकसेली नवमल्लिका, हाथपगनी अशोकपल्लवनी कांति- आम (आ सुंदरी) पोते ज कामदेवनुं बाण छे ।' नोंध :- आ प्रमाणे जेनां बेकी चरणोमां तेर मात्रा छे तेवा चार पेटाप्रकारोनां उदाहरण थयां । हवे जेनां बेकी चरणोमां चौद मात्रा छे तेवा पेटाप्रकारोनां उदाहरण । अनंगललिता जेनां बेकी चरणोमां चौद मात्रा छे अने एकी चरणोमां पंदर मात्रा छे ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001454
Book TitleChhandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages204
LanguagePrakrit, Apabhramsha, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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