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________________ [80] रावणहस्तक जेनां एकी चरणोमां सात मात्रा छे अने बेकी चरणोमां तेर मात्रा छे ते रावणहस्तक छंदनुं उदाहरण : लेहि वीण, करि धरि 'रावणहत्थउ' । जिण-मज्जणि, सुरहिं दिण्णु रावण-हत्थउ ॥ ९ ___ 'तुं वीणा ले अने हाथमां रावणहत्थो राख । जिनभगवानना स्नानविधिमां देवो समहस्त(नी नृत्यमुद्रा) दई रह्या छ । सिंहविजूंभित जेनां एकी चरणोमां सात मात्रा छे अने बेकी चरणोमां चौद मात्रा छे तेवा सिंहविजूंभित छंदनुं उदाहरण : छुह-खामु वि, जं मय-जूहु न तिणु चरइ । तं अज्ज-वि, 'सीह-विअंभिउ' विप्फुरइ ॥ १० ___ 'भूखथी दुबळं पडी गयुं होवा छतां आ हरणोनुं टोळु घास चरतुं नथी, केम के हजी पण तेमना मनमा सिंहना आक्रमणनो फडको छे.' मकरंदिका __ जेनां एकी चरणोमां सात मात्रा छे अने बेकी चरणोमां पंदर मात्रा छे तेवा मकरंदिका छंदनुं उदाहरण : कुसुमंतरि, नवि लग्गइ अलि अवनिद्दिअइ । आसत्तउ, मालइहि बहल मयरंदिअ'हि ॥ ११ ' 'मकरंदथी सभर एवी विकसित मालतीमां आसक्त भ्रमर बीजां पुष्पो पर बेसतो नथी ।' मधुकरविलसित __ जेनां एकी चरणोमां सात मात्रा छे अने बेकी चरणोमां सोळ मात्रा छे तेवा मधुकरविलसित छंदनुं उदाहरण : जं जाइहि, कित्ति दिअंतरु धवलइ सयलु । तं जाणसु, माणिणि 'महुअर-विलसिउ' पवलु ॥ १२ __'हे मानिनी, चमेलीनी कीर्ति सकल दिशाओने धवलित करे छे तेनी पाछळ भ्रमरनी क्रीडानो प्रभाव छे ।' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001454
Book TitleChhandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages204
LanguagePrakrit, Apabhramsha, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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