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भुवनपईवनिवकहा तत्थत्थिभूरिभूमिगभवणेहिं एक्कभूमिगविमाणं । सग्गं पि निज्जिणतं रहनेउरचक्कवालपुरं ॥ ८७२३ ॥ नियतणुतेयविणिज्जियकणयपहो तत्थ अस्थि कणयपहो । खयरवई बहुविज्जाबलदुल्ललिओ ललियदेहो ॥ ८७२४ ॥ चाईकयकणयसिरी कणयसिरी नाम अत्थि से कंता । देवगुरूणं पणया पणयावज्जियसयलसयणा || ८७२५ ॥ सोहग्गेणं गोरिं रूवेण रई सई पहुत्तेणं । अणुकुव्वंती कन्ना समत्थि से भुवणलच्छी त्ति ॥ ८७२६ ॥ उव्वणयजोव्वणजुत्ता विलसिरलायन्नपुन्नगत्ता वि । असईदासी सहिया वि छेयनिस्सेससहिया वि ॥ ८७२७ ॥ कयउब्भडंगभोगा विनट्ठनिस्सेसरोगसोगा वि । विन्नाणगुणवियड्ढा वि थीकलाविसयपोढा वि ॥ ८७२८ ॥ जणयजणणीवयंसी-दासीहिं सया भणिज्जमाणा वि । न कुणइ मयणं पि मणो पुरिसं पइ वीयमोह व्व ॥ ८७२९ ॥ (कुलय) सिंगारियं पि पुरिसं दठूणं कुट्ठियं व नियदिदि । मउलिज्जति वालइ उव्वेयवसेण सहस त्ति ॥ ८७३० ॥ चित्तट्ठियं पि दटुं रुट्ठ व्व नरं परम्मुही होई । सिविणयसच्चवियं पि हु न नियइ पुरिसं ससुरयं व ॥ ८७३१ ॥ पावकहं च निवारइ कहिज्जमाणं पि पुरिसचरियकहं । कज्जे वि नरं नालवइ विहियाण, बज्झमिव बाला ॥ ८७३२ ॥ एवं रूवं दुहियं दठूण वि चिंतए खयरराया । कस्सेसा दायव्वा मए नरवेसिणी कन्ना ॥ ८७३३ ॥ दंसिज्जए इमाए जो जो सो सो वरो न पडिहाइ । आहारो व्व अरोयगरोगक्कंतस्स सत्तस्स ॥ ८७३४ ॥ देव्ववसा जइ जायइ सीलब्भंसो इमाए ता होइ । गोत्तंमि गुरुकलंको पावमिमाए अकित्ती मे ॥ ८७३५ ॥
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