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सिरिअणंतजिणचरियं
आइ सइ पडीहारं पावाओ मेलिऊणमेगस्थ । काओ वि पज्जालह इंधगि भालोलिजलणेण ॥ ५५९१ ॥ कने अन्नाण वि कत्तिऊण कसाओ छिंदह छण त्ति । अनासिं अच्छीओ कड्ढह ६ इडह पुणन्नाओ ॥ ५५९२ ॥ अवराउ रासहारोविया उसरबद्धचविल्लाओ । भामेउं नयरम्मिं आरोवह सूलिग्गेसु ॥ ५५९३ ॥ किं बहुणा तह कह वि हु कयत्थिउं जणसमक्खमभिहणह । जह पावप्पयईणं नासइ नाम पि हु इमाणा ।। ५५९४ ॥ इय कोवुक्कडराया एस पयढे निवारिऊण भडे ।। भमिडं वसंतदेवो निवई विन्नदिउमारद्धो ॥ ५५९५ ॥ पाविट्ठाणं पहुमारणम्मि तप्पवेस त्तणो होइ । निवडिस्संति सयं चिय दुक्कम्मगलत्थियाओ धुवं ॥ ५५९६ ॥ नरओवस्संभावी एक्कम्मि वियारियम्मि जीवम्मि । इत्थीओ पुण इमाओ ता थीहच्दा महापावं ॥ ५५९७ ॥ नियदुक्कम्मेणेव य मया तु एयाओ सामिसालधुवं । ता मयमारणमेयं जमिमाओ एत्थ हम्मति ॥ ५५९८ ॥ ता काऊणमिमाओ वामकमंकियनिडालवट्ठाओ । मुच्चंतु वराईओ दीणे न गुरूण निग्घिणया ॥ ५५९९ ॥ एसो महपसाओ कीरउ मह सामिसालपणयस्स । अब्भत्थियमवरस्स वि कुणंति गुरुणो न किं सुहिणो ? ॥ ५६०० ॥ एरिस वसंतदेवुत्ति रंजिओ नरवई मुयइ ताओ । तावियलोहविणिम्मियवामपएणंकिउं भाले ॥ ५६०१ ॥ तो आरोविय नियगुरुकरेणुखंधे वसंतदेवसुहिं । वररिदीए पवेसिय पुरम्मि नियमंदिरे नेइ ॥ ५६०२ ॥ सम्माणिउं महग्घाभरणुत्तमवत्थवियरणेण सयं । संपेसइ सत्थाहिवइसंगयं दिन्नपासाए ॥ ५६०३ ॥
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