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________________ २०. साध्वी संख्या प्रथम आर्या श्रावक संख्या श्राविका संख्या दीक्षा पर्याय निर्वाण तिथि मोक्ष परिवार आयुमान अन्तरमान ६२ हजार पद्मा २ लाख ६ हजार ४ लाख १४ हजार ७.५ लाख वर्ष चैत्रसुदि ५ ७००० ३० लाख वर्ष ९ सागर . आगमेतर साहित्य में भगवान अनन्तनाथ विषयक विपुल सामग्री मिलती है । १. चउपन्न महापुरिस चरियं (कर्ता शीलंकाचार्य र. सं. ९२५) २. कहावली (कर्ता भद्रेश्वरसूरि र. १२ वीं सदी) ३. चउप्पन्न महापुरिसचरियं (र. १२ वीं सदी) ४. बृ.ग. हरिभद्रसूरि (र. १२ वीं सदी अप्राप्य) ५. चतुर्विशतिजिनेन्द्रसंक्षिप्तचरितानि) क. अमरचन्द्रसूरि (र. सं. १२३८ से पूर्व) ६. त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरितं (र. १२१६ - १२२८ कर्ता क.स. हेमचन्द्राचार्य ७. लखु त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र (र. सं. १७०९) कर्ता मेघविजय ८. अनन्तनाथचरित्र (संस्कृत अज्ञतकर्तुक) इसके अतिरिक्त भगवान अनन्तजिन पर संस्कृत में स्वतंत्र काव्य की भी रचना हुई है । दिगम्बरजैन साहित्यकारों ने भी भ. अनन्तजिन पर अनन्तनाथ पुराण (वासवसेन) आदि ने स्वतंत्र काव्यों की रचना की है । तीर्थंकर विषयक जानकारी देने वाले दिगम्बर जैन ग्रन्थों में तिलोयपण्णत्ति तथा जिनसेनाचार्य एवं गुणभद्राचार्य द्वारा रचित महापुराण और उत्तर पुराण मुख्य हैं । उत्तर पुराण में भगवान अनन्तनाथ विषयक जो वर्णन आया है वह इस प्रकार है - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001445
Book TitleAnanthnath Jina Chariyam
Original Sutra AuthorNemichandrasuri
AuthorJitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages778
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, N000, & N001
File Size10 MB
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