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________________ सयत्त ] सत्थत्थ - शास्त्रार्थ १.२०.६,२.९.८,६.६.२.. सत्थवंत - शास्त्रवत् ( = शास्त्रके ज्ञाता) २.१०.३ सत्थर - स्वस्तर २.१३.४ सत्थिय - स्वस्तिक ८.१८.७, १३.२.७ सद्द - शब्द ६.१४.५ सद्दत्थ - शब्द + अर्थ १.२.४,१.३.५ सहहण - श्रद्धान ( = श्रद्धा भाव ) ३.४.७ = नूपुर, दे० ना. ८.१०) ८.७.८ साल सद्दल - शार्दूल १४.१७.४ सपक्ख - सपक्ष ( = अपनी ओर का ) ११.१०.१५ सप्प - सर्प १२०.७,२.१३.१०,४.२.१०. सप्पयाव - सप्रताप ११.९.२२ सपि सर्व३.१.१० सफेण-सफेन ( फेनयुक्त ) १४.१६.५. - सब्भाव - सद्भाव १.१.२ सम - ( = समान ) ४.११.५ ५.१०.५७.१०.१ समइ – समिति ४.८.६ समइ - ( ? ) समये या समम् १५.८.५ समंति—समंतात् (= चारों तरफ ) ६.४.५८.३.५ समउ - समम् (= साथ) १.१४.१०२.१०.१ समचउरंस - समचतुरस्र ८.१६.६ समच्छर – समत्सर ८:२०.२; १०.६.१ समग्ग- समग्र ६.१२.६, ११.८.४ समग्गल - समर्गल ( = अधिक) १६.७.१० समण - समनस्क (= ऐसा मनवाला) १०.३.८ समत्त - समाप्त १०.९.६. समत्थ - समर्थ १.१.९,१.२३.३ ७.४.८० V समप्प सम् + अर्प (अर्पण करना) वर्तο ० तृ० ए० समप्पइ ८.५.३. समय - त स ( = सिद्धांत, आगम ) १.२.७;१.३.६;३.५.३; ५.७.४; १७.१.६ समय-त स मर्यादा १६:१३.१२ समर त स २.९.६, १०, १२, ११.११.१६; १२.६.१२ समरसोसण - समर शोषण (संग्रामका अन्त करनेवाला) ११.१०.७ समरसभाव -- समभाव ७.९.१३ समल - त स ( = गंदला ) ४.१.८; ६.११.१४ समवसरण - समवशरण १५.७.१ समवाय – समवाय (= चौथा अंग) ७.२.२ समसरिस - समसदृश ( = समान ) १.७.६ २.१२.१०;६.९.१. ६.१२.११ Jain Education International शब्दकोश समाउल - समाकुल (= व्याप्त) ८.३.७५८.२०.१२ समागम- - त स ५.९.९ समागय-सम + श्रागत ६.७.४ 'समाण - समान ( = युक्त ) १.१२.१,२.५.६; ४.८.६; ६.८.२, ६.१७.३ समाणु (साथ) १.१६.६. = समाणिय समानिक (सभासद) २.२.४ समाणिय- सम्मानित ७.२.५ 'सभार - सम् + आ + रच् (= सम्हालना; हे ४.९.५ ) वर्तο तृ० ए० सभारइ ८.५.२ समावडिय - सम् + आ + पत् का भू० कृ० ११.२.४ समास-तस ( = संक्षेप ) १.२०.९, ४.७.१० समास - त स ( = जीवसमास ) ६.१७.३ समाय-सम् + आ + हन् का भू० कृ० ९.१३.११, १०.१२.२. समाहि- समाधि १४.१५.९ समिच्छिय समीक्षित ७.४.२ ― --- [ १८३ समिद्ध - समृद्ध १.५.१०, ६.३.३; ६.१३.७ समुच्छलन्त - सम् + उत् + शलका वर्त० कृ० ८.१९.८. समुट्ठिय उम् + उत् + स्था ( खड़ा होना) का भू० कृ० = १.१२.६; १.२२.१ समुद्द - समुद्र ( = जलनिधि ) ३.११.५ ४.११.२,५.११.१० समुद्द - समुद्र ( = कालमान) १६.६.१ समुद्ददन्त--(सायंपरिक नाम) २.२.२ = समुह सम्मुख ४.१०.६,१२.२.१० -- सम्मुह १.२१.१ समूह - त स ४.१.१० समय - समेत ( = साथ) ८.१९.५,१३.९.११ सम्म - शर्म (= सुख ) १३.४.५ समज्जण - सम्मज्जन ( = स्नान ) ८.८.१ सम्मत्त -- सम्यक्त्व ३ . ४ . ५ ( बहुशः ) सम्मत्तण- सम्यक्त्व १८.८.६ सम्मत्तरयणसम्यक्त्वरत्न ३.३.४;३.४.३ सम्माण सम्मान १.८.८; १.११.९;६.८.४ सम्माणिय- सम्मानित १.१२.११ सम्मेयगिरि सम्मेद गिरि ३.१६.५६१८.१९.८ सय-शत १.२.१,२.८.६७४.१० सयम्भु —- स्वयंभू (= गजपुर का राजा ) १५.१२.१ सयम्भु - स्वयंभू (= तीसरा वासुदेव) १७.२१.१. सयण - स्वजन १.४.३; १.८.८,१.१३.८१२.१०.१७.१२.१० सयत्त - संभवतः स्व + श्रायत्त ( = प्रसन्न दे० ना० ८.५ ) १२.१०.१.१३.५५२.३.१० -सइत्त २.१.८ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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