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________________ १७४] पार्श्वनाथचरित [लायVलाय-लागय् ( = लगाना) लेस-लेश्या ६.१७.४,१४.३.७ वर्त० कृ० लायंत ११.४.८. लेहणि-लेखनी ६.७.३ भू० कृ० लाविय ८.२२.२. लेहय-लेखक ६.७.३ पू० कृ० लाइवि १७.२.५. लोगोत्तम-लोक + उत्तम ५.१०.५ Vलाल-लालय (= लालन-पालन करना) लोय-लोक (१ = जन ) १.४.३;१.१५.७;२.६.२,४.६.९; कर्म० वर्त० तृ० ए० लालिजइ १०.२.९. लालस-त स ( - लोलुप) २.४.७;४.२.६. (२ = जगत् ) १.१६.४,२.६.२;७.१.५ लावण्ण-लावण्य १.८.१२.३.२,३.९.७. लोयंत लोक + अंत १४.१२.८ लासय-उ-लास+क (= भाव वन्दना) ४.३.३. लोयंतिय–लोकांतिक ( = देवोंका एक भेद ) १३.१३.१. लाह-लाभ १३.८.६. लोयग्ग-लोकाग्र ( = लोकाकाशका उपरिम भाग) १६.३.६ लिंग-त स (= चिन्ह ) १७.२२.७. लोयवाल-लोकपाल ९.४.३,१५.१२.१२. लिह-लिख (= लिखना) लोयागास-लोकाकाश १६.२.२ वर्त० तृ. ए. लिहइ २.२.६. लोयालोय-लोक + अलोक ८.१७.१० प्रे० वर्त०प्र० ए. लिहावमि १०.१.९. लोयायलोय-लोक + अलोकं १५.१.४. भू० कृ० लिहिय २.१०.९. * लोल-लुट ( = लोटना) लीण-लीन ६.१०.८. वर्त० तृ. ब. लोलंति १२.७.८. -लीणय ४.१.१४. लोह-लोभ ७.१.३,१८.४.१०. लील--लीला १.१.१०,८,१.१०.१०१.२३.६,३.१४.४८.११. लोह-(= लोहा) ११.७.१०. ७.११.८.२३. V ल्हिक्क–नि + ली (= लुकना; हे० ४.५५.) लुंच-त स २.१६.९,४.८.९,१३.१४.२. पू० कृ. लिहकेवि १.१७.१. Vलुंच-लुञ्च ( = उखाड़ना) __ वर्त० कृ० लुचंत १४.५.८. व-इव १.९.४. *Vलुक्क-नि+ ली (= लुकना, हे ४.५५) वइ-पति १०.४.४,१४.२३.६ वर्त० तृ० ए० लुक्कइ १४.६.१२. वइजयंत-वैजयंत ( = दूसरा अनुत्तर ) ७.११.१;८.१०.२ Vलुण-ल. ( = काटना) वइट्ठ-उप + विष्ट ( = बैठा ) २.३.७. __ वर्त० तृ० ए० लुणइ १२.१२.५. वइर-वैर ४.१२.७. लुद्ध-लुब्ध १.१६.११,१.१८.८,३.१३.३,१०.१२.८,११.३.७. वइराय-वैराग्य १.१०.११,१.१४.९,२.२.७,९.७.५. -लु द्वय ६.१६.९. Vवइराय-नामधातु लुलिय-लुलित (=लुलका भू० कृ०) ५.२.४. वर्त० तृ. ए. बहराइ ४.२.९. Vलूड-लुण्ट ( = लूटना; नष्ट-भ्रष्ट करना) वइरि-वैरिन् २.१.९;६.५.२;६.११.२,१२.१०.९. वर्त० तृ० ए० लूडइ १.२३.३. -वइरिय ६.७.७,११.६.९:११.८.८. भ० तृ० ब० लूडेसहिं १७.८.५ वइवस-वैवस्वत ११.६.१३ Vले-ला ( = लेना हं० ४.२३८) */ वइसर-उप + विश् ( = बैठना) वर्त० प्र० ए० लेमि २.३.१०,१०.१.८ प्रे० भू० कृ० वइसारिय ८.१६.१०,१३.१३.११. वर्त० प्र० ब लेहुँ-८.१४.७,२.८.५ वइसाणर-बैश्वानर ६.१.१०. वर्त० तृ. ब. लेति १.४.१;१.४.५,३.१०.६ वंकाणण-वक्रानन १०.६.८. -लिंति ३.१०.५. Vवंद-चन्द (= प्रणाम करना) आ० द्वि० ए० लेहु २.८.१. वर्त० प्र० ए० वंदमि ३.२.११. वर्त० कृ० लेत ११.५.८ वर्त० तृ. ए. वंदइ ३.२.५,३.१६.६. पू० कृ. लेवि १.११.११.१४.४ वर्त० कृ. वंदंत ३.१.७. लेव-लेप ( = आसक्ति ) ३.१३.६ भू. कृ. वंदिय १.१.१२;६.१८.१. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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