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________________ १६० ] पार्श्वनाथचरित [णिप्पचिंत पहंजण-प्रभंजन (३ = देव विशेष) ८.१३.३ (२%राजाका नाम) १७.२३.६ पह्य-ग्रहत ११.८.१ Vपहर-प्र + हर् (=प्रहार करना) वत तृ० ब० पहरंति ११.२.१३ आ० द्वि० ए० पहरु ११.४.१६ वर्त० कृ० पहरंत ११.५.३ पहरण-प्रहरण (= शस्त्र) २.१३.११,४.१२.३ पहाण-प्रधान १.२.४२.११.१३.१०.४.११.७६.२.१२ -पहाणय ६.१.१४;६.१८.५ पहार-प्रहार १.२२.३,२.१२.२३.८.२;६.१३.६,१२.१०.२ पहाव-प्रभाव ६.८.१३; पहावइ-प्रभावती १.६.११.६.८3११.६.४,१३.५.. ११;१५.१२.६,१८.१८.८ पहावइ-(=प्रभायुक्त) १.१.१ पहावण-प्रभावना ३.४.१० पहिट्ठ-प्र+ हृष्ट (= हर्षित) २.३.७ -पहिट्य ८.१२.७ पहिलय-उ-प्रथम (= पहिला) ३.७.४;८.१६.७ स्त्री-पहिलिय १८.१.६ पहिल्लय-प्रथम १.१०.७;३.११.३,१७.४.३ - /पहिलाय-पहिल से नामधातु कर्म० वर्त० तृ० ए० पहिलाइजइ ६.१६.८ पहु-प्रभु १.८.१;३.६.६ SV पहुच्च-प्र+भू० (हे. ४-३६० पहुँचना) पहुच्चमि १४.१०.५ पहुत्तण-प्रभुत्व ८.१७.६८.२१.५ पाइ-पापी १.१६.१२ पाइक-पदाति (हे २.१३८) १.१४.७,१२.५.११ पाउस-प्रावृष (हे० १.१६) ६.१२.४,१२.२.२ पाडलि-पाटल (= एक वृक्ष) १४.२.३ पाडिहेर-प्रातिहार्य ३.१२.५,१७.२४.६ पाढ-पाठ (=पाठक = पढ़ने वाला) ६.६.८ पाण-पान (सर्वदा खाणके साथ प्रयुक्त) १.१३.११;६.१३.. पाण-प्राण ..... पाणय-प्राणत (= चौदहवाँ स्वर्ग) १६.५.८ पाणावय-प्राणवाद (-बारहवाँ पूर्वाग) ७.३.७ पाणि-त स (= हाथ) २.११.. पाणिग्गहण-पाणिग्रहण १३.६.१० पाणिय-पानीय ४.१.११४.१.१२;७.१२.३,१४.५.६ पाणिहरि-पानीय + हारिन् (=पानी लानेवाला) ६.७.५ पाम-पामा (= खुजलीका रोग) २.१३.. पामर-त स ( साधारण जन) १.५.२२.३.३ पाय-पाद (= चरण) ११.२.१०,६.१४.१३ पाय-पाद् (चतुर्थाश) १७.१७.६ पायड-प्रकट १.३.४,२.५.६ पायय-व-पादप १४.२.१०.१४.१४.१३ पायार-प्राकार १.६.३,१५.७.२ पायाल-पाताल ६.१२.६६.१७.११ पार-त स ( दूसरा किनारा) ३.१३.११४.५.१४; १२.२.८ Vपार-(= उपवासके उपरान्त भोजन करना) वर्त० तृ० ए पारइ ४.१.५ पारण-पारणा ७.५.३,१३.१४.७ पारद्धि-पापद्धि (=शिकार) ३.८.७ पारावय-पारावत १०.५.२,१३.४.७१५.४.४ पारिखिउ-परीक्षक (=पारखी) ६.७.६ पारियाउ-पारिजात १४.२.१३ Vपाल-पालय वत० प्र० ए० पालेमि ३.१३.६ वत तृ० ए० पालइ १.८.६;३.६.१२,३.११.११ वर्त० तृ. ब. पालंति ३.१०.५ आ० द्वि० ए. पालि १.१.९ वि० द्वि० ए० पालिज्जहि ४.६.८ वि० द्वि० व० पालिजहु २.१०.४ वर्त० कृ० पालंत २.१.. पू० कृ० पालेवि ६.१.१७.१.. वि० कृ० पाव्वउं ३.१३.८ क्रि० कृ० पालणहिं २.५.३ पालत्तिय-(= पालन करनेवालेकी स्त्री ?) १०.१२.८ पालिंदु-(= एक वृक्ष) १४.२.८ Vपाव-प्र+आप (= प्राप्त करना) वर्त० द्वि० ए० पावहि ३.१५.१३ कर्म० वर्त० तृ० ए० पाविज्जइ ३.५.४३.५.६,३.१२; ७;३.१२.८१४.७.११ वि० द्वि० ए० पाविजहि २.६.३ भू० कृ० पाविय ५.८.३,५.६.१६.३.१०. ११.१२.. पाव-पाप १.१२.६;३.६.४. (बहुशः) पावग्गह-पापग्रह (टिप्पणी देखिए) १३.८.२ पावचक्खु-पापचक्षु (=पापी) १८.१७.८ पावबंध-पापबंध (= पापका बंध करनेवाला) ४.१२.४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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