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________________ १३० ] कलिंग त स ( = कलिङ्ग देश ) ११.५.१० कलिंग - ( = कलिङ्ग नामक वृक्ष ) १४.२.४ कलित स ( = कलिकाल ) १.१.६ कलिमल - स ( कलिकालके दोष ) १.१.६१.२.३,२.३.५; = ४.११.२६.१५.५ कलिवारण - ( = कलिका निवारण करनेवाला) १८.१२.५ कलुस – कलुष १.१.६; १४.२१.५ कलेवर[-तस (= शरीर) १३.१२.१० कल्लए - ( = कल; आनेवाला दिन ) ३.१०.६,१०.३.११ कल्ला - कल्याणवाद ( = ग्यारहवाँ पूर्वांग ) ७.३.६. कल्लाण - ( = मंगल ) ८.११.६,१५.१०.२ कल्लाण- (= जिन भगवान्का पूर्व भवसे व्ययन, जन्म, दीचा, केवल ज्ञान तथा मोक्ष प्राप्तिका समय ८.१.१ कल्लाणभाइ - कल्याणभाजिन् (= मोक्ष पानेवाला ) ३.३.७ कल्लाणमाल - कल्याणमाल ( = एक योधा ) ११.८.१३. कल्लोल - त स १४.१६.६. कवण - किं ( = कौन हे. ४.३६७ ); ६.१५.६; १०.८.६; १०.६.८. कवसीस - (गृह, मंदिर आदिका शिखर ) १५.७.६ कवाड कपाट १.७.२ कवि स १.२.४ कवि-का + अपि ८.५.१.५.२८.५.३८.५.४८.५.५; ८.५.६८.५.७ कव्व - काव्य १.३.११.३.४; कव्वड-कट (= खराब नगर, प्रदेश आदि ) ३.१.६; ६.३.४; १४.१.१० कव्वबंध - काव्यबन्ध ( = काव्यप्रबन्ध ) ८.५.७ कसण - कृष्ण ( = काला ) ३.५.८३.१४.७; ४.११.३; ११.७.७१२.१.३. कसाय – कषाय १.१.३६.१६.१३; १४.१.६ कह कथम् १.२०.५, ३.३.४, ३.३.५;३.३.६; ३.३.७; ३.३.८४.७.७ कह कथा १.१.२; १३.२०.६ V कह-कथ् पार्श्वनाथचरित वर्त० प्र० ए० कहमि १.२.३; वर्त० तृ० स० कहइ ८.५.७ वर्त० तृ० ब० कहंति ३.६.१०;१६.१२.० भ० द्वि० ए० कहेसहि १.१५.१. कर्म० वर्त० तृ० ब० कहिजहिं १६.१.११ भू० कृ० कड़िय १.१६.३ २.१२.१. (बहुशः ) क्रि० ६० कृ० कहणहं ६.१५.७ Jain Education International [ कलिंग कण-कथन १८.३.३ कव - कथम् + अपि १.१५.६; १.२० ५;३.६.६; १३.८.१६ कहाणिबंध - कथानिबंध ८.५.७ कहिं मित्र + अपि १.५.३१४.६.१२१८.१.१३ काईकानि २.१०.८१३.१६.३ काओसा कायोत्सर्ग १७.२.१. काकंदि - काकन्दीपुरी १७.१२:४ काण -तस (= काना ) ३.३.१० काणि कानि (१) (= कौनसी ) १३.१५.४ कापि कापिष्ट ( सातों स्वर्ग ) १६.५.५ काम-तस काम (१ = वासना ) ७.१.३ ( २ = सुंदर शब्द ) ७.६.१२ V काम-कामय् वर्त० तृ० ए० कामइ १.१६.१२ वर्त० कृ० कामंत १.१३.१ कामदेव -- त स ५.१.१२;५.३.८; १७.७.७ कामधे कामधेनु ८.१.५ कामिणिकामिनी २.१.म काय - (शरीर) ३.१.१५.७.६ कायस्थ - कायस्थ २.३.५ कायरत स ३.१.६; ६.५.२; ११.२.१३ कारण- -तस १.२०.४१४.१६.३ कारुण्ण — कारुण्य १३.१६.५ काल - त स १.११.१०२.२.१ काल त स ( = यम ) ७.१०.८; १२.११.१० कालइट्ठा - कालइष्ट ( मृत्युके द्वारा चाही गई ) १२.११.१० कालकेतु १२.१४.६ कालचक्क कालचक्र १७.३.१ कालपास - कालपाश (= ज्योतिषशास्त्र में एक कुयोग ) १२.६.४ कालरत्ति - कालरात्रि १०.६.६ कालसप्प — कालसर्प १.१६.१ कालो-कालो (समुद्र) १.१.६ कालोहि — कालोदधि (समुद्र) ७.१२.२ कासी - काशी ( = जनपद का नाम ) ८.१.३ काहल - ( = एक वाद्य ) ८.१८.३; १०.७.३ -काहला ८.२०.६ -- काहली ८.७.६ किंकिणि किंकिणी (छोटी घंटी) १२.६.६ किं चिकिंचित्१६.१०.१ किंचूण - किंचित् + ऊन १७.६.१ किंजर - किश्वर २.१४.१८.१३.२; १६.८.२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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