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________________ १३४] पउमकित्तिविरइउ [१५, ३,१ तहि अवसरि सयल-सुरेसराह पंचिंदिय-सुक्ख-णिरंतराहँ। अच्छंतहँ णिय घर थिर-मणाहँ कंपिय सीहासण-पीढ ताह। दह-भेय-भवण-वासियहँ मझें पायाल-सग्गे बहु-सुह-असझें। णिय-णिय-थाणंतर रइय-सोह स. संख पवज्जिय धवल-देह । जोईसियहँ पंचाणण विसाल गज्जणहँ लैंग्ग दाढा-कराले । कप्पामर-गेहहि सूसराउ वर-घंटउ वज्जिउ मणहराउ । वितर-धैरोह सय-सहसें लक्ख पडु पडह विवज्जिय सँइँ असंक्ख । . धरणिंदचंद गरुडोरगिर्दै मुज्जेंद-विंदविजाहरिदै । मल्लिवि" सीहास] धग-धगंत गय सत्त पय महि-यले तुरंत । धत्ता- जगणाहहाँ सयल सुरासर मणि-गण-भासुर पायहि पडिय अणण्णमण । पुणु चैंडिवि असेस विमाणहिँ अतुल-पमाणहि चलिय णहंगणे मण-पवण ॥३॥ चडिउ इंदु अईरावय-वाहणे उहिउ कलयलु सुरवर-साहणे । । के वि देव आरूढ विमाणहि के वि महाजस सिविया-जाणहिँ। के वि हरिण-हयवरहि गैयदहि के वि देव आरूढ मयंदहि । के वि पारावय-कोईल-हंसहि बग भेरुंड-कुंच-खर-महिसहि । के वि देव अलि-कोल-विहंगहि रिच्छ-विराल-पवंग-पयंगहिं। रिस-णउल-गरुड-अहि-कीरहि मयर-चराह-वगाहिव-मोरेहि। वसह-खरोहहि के वि जसाहिव चडिया सोहहिँ सयल सुराहिव । सयलाहरण-विहूसिय मणहर चलिय जिणिर्दैहों मैत्तिए सुरवर । घत्ता- उत्तंगहि विविह-विचित्तहि किरण-फुरंतहिं" णयणाणंदिहि" मुंहकरहि । . उज्जोइय गहु गिरि सायर महि-णयरायर देव-विमाणहिँ मणहरहिं ॥ ४॥ 10 (३) १ क- सुरासुरेहि; ख- सुरासुराह । २ ख- सोक्ख । ३ क-णिरंतरेहि; ख-णिरंतराहु । ४ क- अच्छंतहि । ५ ख- कंपिउ सोहासणु पीढु । ६ ख- दस । ७ क- सिय । ८ क- याण मेह । ९ क- जोवसियहे; ख- जोइसिय । १० खविसालु । ११ ख- लग्गु १२ ख- करालु । १३ क- में यह पद छूटा है। १४ क- सहसहि संख ल । १५ क- सयल । १६ क- धरणेद । १७ क- रगेंद । १८ क- हरेंद । १९ ख- मिल्लिवि । २० क, ख- सिंहासणु । २१ ख- धगंतु । २२ ख- पयहँ । २३ ख- तुरंतु । २४ क- पाय पडिय आणंदमण । २५ ख- अतुल पमाणहि चडिवि विमाणहिँ । २६ क- विमाणहे । २७ क- पमाणहे । (४) १ ख- ऐरा २ ख- उठिउ । ३ क- मयंदहि । ४ क- गयंदहे । ५ ख- कोयल । ६ ख- वेरुंड । ७ ख- ददुर वरहिणकीडपयंगहि । ८ ख- जलयरअजयरमच्छपयंडहि । ९ख- चंडहिं । १० क- जिणेंदहो । ११ क-भत्ते । १२, १३, १४, १५ क- हे । १६ क- सुरवरहि । १७ क- सायरु । १८ का यरु । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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