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________________ संधि-१२ पक्खिवि साहणु भग्गउ उप्पहि लग्गउ गेरुय-पहारहि सल्लियउ । पंचाणणु जेमै विरुद्धउ णिय-मणि कुद्धउ जउण-णराहिउ चल्लियउ ॥ [ध्रुवकं दुवई- गरुय-पर्याव-तुंग-मय-मत्तहि कसण-विसाल-देहहि । ____ रण-उहि गय-घडेहि जउणाहिउ धाविउ रइय-सोहहिं ।। महिहर-सम-तुल्ल-देहाँ पलंबत-घंटा महाउँग्ग-चंडा पयंडा । दुपैच्छा बला भीसणोराली दिता सुणक्खत्त-माला विसाला सिरे बद्धसोहा गुडासारि-संजोइया मेह-वण्णा सुलट्ठा वरिट्ठा हुँदुवा सबिंबस्स वेझं करंता खिवंता जलं थोर-धारेहि अणोण्ण-गंधेणे कुद्धा विरुद्धा सुभीमा कैयंतो व सिंदूर-रत्ताणणा एरिसा दंति दंतोज्जला चोइया जुज्झ-मज्झे सहस्सा गरिंदेण पंचास-पंचुत्तरा। घत्ता- गय विविह तुंगै मय-भिंभल कसण समुज्जल सोहहिं आहवे पवर-करा। ण" वरिस-कॉले उट्ठाइय सैरहसु धाविय जलहर मणहर गयण-चरा ॥१॥ 10 दुवई- चउ-दिसि भाणुकित्ति गय-जूहेहि वेढिउ गरुष-देहहीं। णं कसुणुज्जलेहि गयणंगणे पाँउसि मेरु मेहंहीं ॥ पक्खिवि उत्थरिया गेय पयंड गज्जत तुंग कय-उड्ढ-सोंड । मल्लिवि किवाणु गय लइय हत्थि आहणइ संरुहु आवंत हथि । सय खंडणेइ 'रणि पिहुल कुंभ णं पाडिय महि-यलि केयलि-गब्भ । गय-घाय-किणंकिय दंति-दंत णिवडंति महिहि जैह दुमहुँ पत्त । रुहिरोल्लिय किंमुँव-सरिस-गत्त गिरि-सिहरे पडहिं जह जीव-चत्त । अंगणंति दंति अंकुस-पहार भय-भीया गय संगाम-पार । (१) १ क- गरुव । २ क- जहव । ३ क- गरुन । ४ ख- पयाउ । ५ ख- देहहे । ६ ख- 'उहे । ७ ख- पचलंत । ८ ख- भग्ग । ९ ख- सलट्ठा । १० ख- सुदिट्ठा । ११ ख- गव्वेण वुरुद्धा विरु। १२ ख- कयंते । १३ ख- पंचोत्तरा । १४ ख- तु रं ग म भिंभ । १५ ख- सोहिय । १६ ख- में यह पद छूटा है । १७ क- काल्युद्धाविय । १८ ख- कहि मि ण माईय । (२)१ क- जोहहि । २ क- देहहिं । ३ ख- पउसे । ४ क- मेहहि । ५ ख- गिरिपचंड । ६ क- उद्ध । ७ ख-मिल्लिवि । ८क- सद्यह आसन्न है। ९ख- खंडु । १० ख- रणे । ११ क- केलि । १२ क- णे दुमहो । १३ क- रुल्लिय । १४ ख- केसुय । १५ क- सिहरि; ख- सिहरे । १६ ख- गय पंति दंत अं० । १७ ख- पहारु । १८ ख- पारु। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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