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पउमकित्तिविरइङ
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मैत्ता- भग्गु साहणु णरवरिंदेहि धीर-वीर- रविकित्ति जोहहि जक्ख- रक्ख- गंधव्त्र- देवहि ।
जालंधर- सेिं पहरंत रणि दिष्णु जउ
दाह - उकलल तूर - रउ भडहँ ण मायउ तोसु । चिउगणि सुरंगहि बहु-विह णट्ट-विसेसु ।। दुबई - खुहिय महामहंत जगहिवरायहॉ पंवर णरवरा । धाविय गुरु-पयाव सवर्डमुह असुरहँ णं सुरेसरा ॥ धय चिंध छत्त रह खयहो त
उपाय भूअ गह यणे णाइ कोसल कलिंग कण्णाड लाड तावियड विज्झ डिंडिर तरह पहु यहँ देस जे पड रुहिरोह वह पहु को वि खुत्तु चैरिविको वि पहु मयगलेण दसण हि कुं वि आवंतु भिण्णु कु वि रहहि ँ दैलिवि किउ चुण्णु चुण्णु पहु को वि सैंमर - जज्जरिय-गत्तु
पक्खि रिंद भउ जणंत । मेलहि लग्ग पहरण-सयाइँ । भरहच्छ कच्छ कोकण वराड । दिविडं मलय सोर दुट्ट । ते भिडिय महाहवे भीम-चंड | अवरेण सुभिचें सोउ खितुं । रोसारुणु लिउ ह यलेण । का विप्पाडिवि पाउ दिष्णु । कैंप्पदुमु जह भडु को विछिण्णु । महि पडिउ कर लेंतु सत्तु ।
घत्ता - रणु भरिउ असेसु गिरंतरु णरवर - सिरहि समुज्जलहि । father-कालि अ मणहरु छइउ सरु रत्तुप्पलहि ।। ५ ।।
मैत्ता - कैरित्रि भीसणु पवरु संगामु
दिणि पिट्ठि रविकत्ति लज्जिउ
अव महिहि भणु की ग णिज्जिउ ।
जालंधर सेंधवहि
कणा - मरहट्ट
[ ११, ५, १–
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१३ ख - डिंडीर रह
१४ क - दिविडय सयलह सो ।
(५) १ क- वस्तु २ ख - सिंधुहि । ३ क - रेवहि । क प्रति में इस कडवक तथा अगले कडवकों में दोहा का कोई नाम नहीं दिया । ४ ख तुरयरउ । ५ ख- सुरंगणिहिं । ६ क- 'हिउ । ७ क पउर णरवरो । ८ क- गुर । ९ क- सुरेसरो । १० क- लेंत । ११ क- नरेंदहं । १२ ख- गर्याणि णेइ । १५ क, ख - आयहि देहि । १६ ख- पवाहें । १७ ख क्खुत्तु । १९ ख- संचरेवि । २० ख- को । २१ ख- अप्फालिवि । २२ ख- दलेवि । २३ ख- कप्पदुमु जसु भ° । २४ क- समरु: ख- समरे । २५ ख - सरयकाले णं मण । २६ क - छायउ ।
१८ ख- क्खित्तु ।
(६) १ क- वस्तु । २ ख - करेवि । ३ ख - संगाउ । ४ क- सिंध । ५ ख - अहह । ६ क - को वि लजिउ ।
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