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________________ ७०) पउमकित्तिविरइउ [८,२२,९ मविय-सरोरुह-रवि-विहसावण अभय-पदाण-दाण-जगें-पात्रण । चउ-गइ-कलि-मल-पाव-पणासण उत्तिमै-थाम-णाम-वर-सासण । पत्ता- जय जय मुँवण-पसंसिय मुणिहि" णमंसिय सुरवइ-सय-पय-वंदिय । केवलणाण-दिवायर संजम-सायर अविचल-पय अहिणंदिय ।। २२ ॥ २३ ऍत्यंतर इंदें लेवि वज्जु दाहिण-अंगुटुई दिण्णु छिज्जु । जर मरणु कया वि ण होइ जेण संकामिउँ तं तेहो अमिउ तेण । अटुंगु करिवि बालहों पणाउ' सइँ सुरवइ पासु थवेवि गाउ । उहिउ कर-जुअलहिँ बालु लेवि ति-पयाहिण तहाँ मंदिरहों देवि । वाणारसि-णयरिहि पुणु पई? थिउ अग्गइ बहु-विहु देव-थ?। बैजंत-तूर-मंगल-रवेणी हयसेणहाँ घरु पाविउ कमेण । जिण-जणणिह" अप्पिवि जिणवैरिंदु सइँ अप्पणु णच्चिउ सुरैवरिंदु । जिण-रक्खवाल सुरवर थवेवि . गउ इंदु सम्गि सुर-णियाँ लेवि । जिणवरहाँ अणाहिउ जक्ख-राउ गउ पणविवि गेहहाँ साणुराउ । सोलह जणीउ जा पुब्बि आउ जिण-जणणिहि पणविवि गयउ ताउ । घत्ता- गोसीरिस-चंदण-खबलिउ बहु-जस-धवलिउ सयलाहरण-विहूसियउ । "पक्खविणु जिणु पउमाणणु जयसिरि-माणणु णरवर-मुरहँ णमंसियउ ॥ २३ ॥ 10 ॥ संधि ॥ ८॥ १५ ख- गे था । १६ ख-तम-णाम-थाम । १७ ख- भ । १८ क- हे । १९ ख- णा। (२३) १ क- "रि । २ ख- 'ये दिणु वेज्जु । ३ ख- ते । ४ क- 'य। ५ ख- हि। ६ख- करें। ७क-इ। ८ - । ९क- 'हे। १० ख- 'ठू । ११ क- च । १२ ख- टू । १३ क- म । १४ ख- हि। १५क-“वरें। १६ क- वरें । १७ ख- गे । १८ क- सिमिरु । १९ ख- आणा । २० ख- पि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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