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-७, १२, ५]
पासणाहचरिउ कमु देवि सुणिंदहों पडिउ देहि बहु-गुणज-सोहि । विदौरिवि णहरहि णिहिउ साहु किउ रुहिर-बाहु । पत्ता- तहाँ रुहिरु पियइ पंचाणणु पुर्व-विरोह-विरुद्धउ ।।
घणु जेम मैहिहि गजंतउ मंस-महारस-लुद्धउ ॥१०॥
परमेसरु मुणिवरु झाण-जुत्तु गउ वइजयंतु पंचत्तु पत्तु । णवकारु सेरेवि कयायरेहि
अहिणंदिउ तहिं सवामरेहि। जय भविय-सुयण कय-सुकिय-कम्म सग्गापवग्ग-अहिमुहे सुजम्म । करि कीड सग्गे मुहु अँजि देव __ अम्हे 'वि करहुँ तुह पयहँ सेव । अवयरिउ सगिं तुहुँ पुण्णवंतु पुण्णिम-मियंकु जह तह मुकंतु । आराहिउ जं जिणु थिर-मणेण फलु पाविउ तं पइँ इह खणेण । पभणेवि एउ पणविउ सिरेहि आहरण-साल णिजइ सुरेहि। पजलंत-मउड-मणि-कुंडलेहि केऊर-हार-धवलुजलेहि। आहरिउ असेसहि भूसणेहि वत्थालंकार-पसाहणेहि। पत्ता- सुहु अमराहिउ झुंजइ सायर-पल्ल-घमाणहि।
सहु देवहि सरल-सहावहिं कीडइ विविह-विमाणहि ॥ ११ ॥
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पंचाणणु मुणिवर-बहु करेवि धूमप्पहें गउ गय खयहाँ णेवि । णीसरिवि भुअंगमु महिहि जाउ गउ गरई चउत्थई पुणु वि पाउ । कालोवहि-हंसणईहि वारि
उप्पण्णु मीणु पाणिय-अपारि । गउ गरइ दुइज्जई सों खणेण रयणायरिं पुणु झस तक्खणेण । उप्पण्णु णरईं पढमइ रउद्दे
मयरवेरु जाउ भीसण-समुद्दे । १३ ख- में इन दो पंक्तियों के स्थान में यह पाठ है।
जम्मन्तर वइरि को वि चडिउ । कम्म-बंधे हि सो तेहि देहि पडिउ ।
खर-नह-पय-पहरहि आहणेइ ।। दाढा-घायहि तणु खयहो णेइ ॥ १४ क- दा । १५ स्व- ब्वहिं रो । १६ क- महि ग ।
(११) १ ख- "ते । २ ख- करेवि कप्पामरेहि । ३ ख- य । ४ ख- हु । ५ ख- ह । ६ ख- 'गे । ७ कक्स। ८ ख- "रेण । ९ ख- ल । १० ख- पमा ।
(१२) १ क- क्ख । २, ३ ख- °ए । ४ ख- हिं । ५, ६ ख- 'ए । ७ ख- रे । ८ ख- 'ए । ९क- "हर । सं०८
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