________________
७, ४, १० ]
पढमउ उप्पापुव्वु पढिज्ज रिया इह तज्जउ भासिउ णाणा-सच्च पत्रादइँ पुव्यहँ आदा कम पाइँ मुणियइँ मउ पच्चक्खाणु वियाणिउ
एयारहमु पुव्वु ज सुद्धउ
पाणावाउ पुंव्वु बारहमउ उर्दहम जं पु सवित्थरु
Jain Education International
पासणाहचरिउ
पढम पुत्रे वत्थु दस भासिय तिज्जएँ वत्थु वि अट्ठ समिच्छिउ
पंचमें छट्ठए बारह बारह वीस व अट्टम विद्धउ दसमऍ" पुणे जिणागमें वुत्तउ अवरहि पुत्रहि चरैविह संखिउ पंचाणवर सउ उ वत्थुहँ" वीस वीस ऍक्केकहि वत्थुहि"
विज्जउ अग्गयणीउ सुणिज्जइ । अत्थिणत्थि तह तुरिउ पयासिउ ।
पंचम छ कि सुपुइँ ।
सत्तम अइँ दुइ भणियइँ । दसम विजाउ समाणिउ ।
धत्ता - जिणवरे-आगमें चउदह पुव्वाइँ कहियइँ जाइँ । कण- मुणिणा णिसुणइँ सयलइँ ताइँ || ३ ||
४
तहु कल्ला-गामु सुपसिद्धउ । रियविसालु व फुडु तेरहमउ । लोविंदु सुद-सारु घणक्रवरु ।
विज्जएँ चउदह जिणहँ पयासि । चथएँ पुत्र अठारह गंथिउ । सत्तमए थिय पंचेगारह ।
म तीस भणेवि पसिद्धउ । दसपंच णिरुत्तउ । दस दस वत्थु ऍकहि अक्खिर । अक्खि भेउ जेहि बहु-वत्थुइँ" । णिग्गय पाहुड सत्थ- समत्थहि 1
ORO
घत्ता - तिण्णि सहासइँ पाहुडहँ बहु-विह अत्यहि सुद्धइँ |
व सय णिणिय मुणिवरॆण आगम-कहिय-पसिद्धइँ ॥ ४ ॥
[ ५३
।
(४) १ क- इ । २ क- उ । ३ क उ । ४ क उ । ५ क उ ८ क इ । ९ ख- पंचायारह । १० खत्थू । ११ क- इ । १२ क- इ पुव्वि "स्थउ । १५ ख- “हुति । १६ ख- 'अ' । १७ क- हे ख- हु । १८ क हि । २१ ख- 'छ' । २२ क- 'हे । २३ क उ ।
६ कत्थु उ अ । ७ क इ । १३ क- पत्थु दसपंचेवणि । १४ ख१९ ख - हु । २० क, ख - हु |
(३) १ क- अग्गेयणिउ । २ ख- विरियाणुप्पावाउ, पुणु भा । ३ क हो । ४ ख - माइ रई । ५ ख - वें । ६ कबहु विया; ख- वाइ । ७ क णामु । ८ ख ६ । ९ क- रे । १० ख- 'हु |
For Private & Personal Use Only
5
10
5
10
www.jainelibrary.org