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पउम कित्तिविरइउ
तरुवरहों मूल गयवरों दंत रहँ ओलि विलय णियंबु गण - यहाँ ससि मणि आहिवराह सारउ सम्म ण को त्रिभंति सम्म सहु वरि णरय-वासु दालिदिउ" वरि" सम्मत्त-सहिउ
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- रहिउ स ध सम्मत्तु जासु सम्मत्तु महाणु जम्म जम्म
अ अ सत्थवाहि कुल भूसण विणु कज्जेण जीवे जे मारहि ते दालिदिय इह उपज्जहि जे अहिला हि पर- यारहों जे पेसुण-भाव-रय अणुदिणु णिच्च-गोतें उपज्जहिं ते पर दउ लायंति भमहि पारद्धिहि " खास- सास-बहु वाहिहि गीढा छिंदहि "भिंदहि विविह जे तरुवर
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घत्ता - बारह-मिच्छुववायहो जोइस भवण तियहँ । पुहवि" छहि सम्मत्तें उ उप्पत्ति णराहँ ॥ ७ ॥
(८) १ क- उ । २ ख- कों। ३ क स अ । ८ ख- हु । ९ खति । १० कलावंति । १५ ख - दहहि । १६ क - होइ सुण । १७ खवि
रहवरह अक्खु णरवरों णेत । धवलहरें मुहु कवि 'तंबु | तह अणुवय-गुणसिक्खावयाहँ । जें कज्जें पहिलउ तं धरंति । मं तेणे रहिउ सुरवर - णिवासु । मं ईसरु गैरु सम्मत्त - रहिउ | धणु इको जम्मों पुर्णे विणासु । संपss rरहों इह किय-कम्मे ।
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णिणि धम्मु तउ कहमि अहिंसण | कुंत - लउडि-असि घाय-पहारहि ।
- पडता केण धरिज्जहि । जाहि पुरिस ते संर्द - वियारहों । सुहि-जण-र्णिदासत्तउ जहँ मणु । हीण - सत्त बहु- दुक्ख - परंपर | ते जम्मंति थाइँ त्रिणु रिद्धिि
भ
भवि होंति पुरिस मइ-मूढा । कोढ-वाहि त "होसइ णरवर ।
घत्ता - जे भणहि अदिउ ँ दिट्ठउ असुर्येउ सुयउ कहति । अंध बधि र पार्श्वे दुक्खिय महिहि भमंति ॥ ८ ॥
(७) १ क- क्ख । २ ख- णरयहो वि पडलि । ३ ख - लय नियं । ४ ख- रहो । ५ ख - हु । ६ क, ख - तुं । ७ ख का । ८ ख ते । ९ ख तें विर । १० ख- लिद्द वि वरि । ११ क- र १२ क ण वि ख- ण भ । १३ खवण । १४ खण । १५ ख - ण । १६ ख 'म्मि जम्मि । १७ क- मिच्छावायद्दो; ख- मिच्छोवा । १९ ख - विहि । २० क ण वि ।
१८ ख- हिं
[ ३, ७, १
४ ख इ । ५ ख - दा । ६ क ड । ७ क- पिसुणत्त ण भावय ११ ख- द्धि । १२ ख- इत्थु । १३ ख - द्धिं । १४ ख- वे भवे । । १८ क उ । १९ ख - हि ।
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