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________________ १२ ] पउमकित्तिविरइउ २३ Jain Education International सहु जूहें गयवरु असेणिघोसु for जूहों सलहों करइ रक्ख जे राय-पह आवंति सत्थ पउमणि- वरगाहि मणहरेहि मय-मत्तु विज्यु गिरि-सिहरि देह लीलइँ अवगाहइ सरिहि सलिलु दयर-जाइ - कीला-पसत्तु परिहव - सहास वाण खयहाँ णिंतु हिँडेर अणुराएँ वणु असेसु । सल्लइ-वर-पल्लव चरइ दक्ख । जूहाहि लूडइ ते समत्थ । fats वर - करिणिउ थिर-करेहि । उम्मूलिवि तरुवरु करि करे | मयरंद-गंधे- बहलच्छ - विमलु । मयणाउरु रइ-रस-राय-रत्तु । परिभमर गयाहि विज्यु दिंतु । घत्ता - करिणि संगमासत्तउ विसय-पसत्तर जलणिहि - सरिसहि" मणरहि“ । म महिहि वर-मयल ससि-कर- णिम्मलु पउम - विहूसिय-सरवरहि ॥ २३ ॥ ॥ संधिः ॥ १ ॥ [ १,२३, १ (२३) १ ख- आसिघोसु । २ ख- हियडइ । ३ ख में यह पंक्ति छूटी है । ४ ख- पहे । ५ ख - णालई । ६ खविज्झु गरि । ७ ख - 'ले' । ८ ख- 'रे । ९ ख - गंध ह विमल । १० ख - मंदयर १२ ख- वेज्झ देंतु । १३ ख- मय मत्तउ । १४ ख- हरेहि । १५ ख- में यह पूरी For Private & Personal Use Only ११ ख- उर सरय स राय रतु । पंक्ति छूटी है । 5 10 www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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