________________
प्रकाशकीय
पं. अमृतलाल मोहनलाल भोजक द्वारा संपादित 'चउपन्नमहापुरिसचरियं' प्राकृत टेट सोसायटी द्वारा ई.स.१९६१ में प्रकाशित हुआ था । कइ वर्षों से अप्राप्य इस अति महत्त्वपूर्ण ग्रंथ का पुनःमुद्रण प्रकाशित करते हुए हमें हर्ष का अनुभव हो रहा है ।।
प्राकृतभाषाबद्ध चउपन्नमहापुरिसचरियं ईसाकी नवम शताब्दी के प्रसिद्ध श्वेताम्बराचार्य शीलांकसूरि की रचना है । २४ तीर्थंकर, १२ चक्रवर्ती, ९ बलदेव और ९ वासुदेव मिल कर कुल ५४ जैन महापुरुषों के जीवनचरित्रों का इसमें वर्णन
परम पूज्य आचार्य श्री विजय नरचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. और उनके अंतेवासी परम पूज्य मुनिवर्य श्री धर्मतिलकविजयजी म.सा.ने प्राकृत टेट सोसायटी के प्रति जो स्नेह एवं सद्भाव प्रदर्शित किया है तथा प्रकाशन कार्य में सहायभूत बनने के लिए विविध संस्थाओं को प्रेरित किया है उसके लिए हम उनके ऋणी रहेंगे। प्रस्तुत ग्रंथ के प्रकाशनार्थ प.पू.रामचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के गच्छाधिपति श्री हेमभूषणसूरिश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से जिन आज्ञा आराधक संघ, मध्य मुंबई संस्था द्वारा हमें आर्थिक सहाय प्राप्त हुई है । एतदर्थ हम सहयोगदाता संस्था के ट्रस्टीगण का आभार प्रदर्शित करतें हैं ।।
पुन:मुद्रण सुचारु रूपसे संपन्न करने के लिए उषा प्रिन्टरी, जैन देरासर के पास, मेइन बजार, हळवद प्रेस को धन्यवाद ।
अहमदाबाद दिनांक : १५-११-२००६
- रमणीक शाह
मानदमंत्री
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org