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ग्रन्थसमर्पण भव्यजीवों के विबोध के लिए सर्वज्ञ के शास्त्रों के अर्थप्रकाशन के हेतु जिन्होंने विविध विशुद्ध और महार्थको प्रकट करनेवाले महामूल्यवान अनेक ग्रन्थों का निर्माण किया है, जिनका उपनाम 'भवविरहसूरि' जगत में सुप्रसिद्ध है और जो याकिनीमहत्तरा के धर्मपुत्र थे, हमारे जैसे अनेक जनोंको जिन्होंने अनुपकृत होते हुए भी उपकार किया है, जो महाब्राह्मण महाश्रमणश्रेष्ठ और पूज्यपाद है, ऐसे महामति अनुपमचारित्रधर श्रीहरिभद्राचार्य के पुण्यपवित्र करकमलकोषमें उन्हींकी बनाई वृत्ति के साथ यह नन्दिसूत्र को भक्ति और
पने को धन्य मानता हुआ-पुनः पुनः अपने को कृतार्थ समझता हुआ मैं उनकी चरणरजके समान निर्ग्रन्थ मुनि पुण्यविजय समर्पित करता हूँ।
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